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अजित पवार ही होंगे उप मुख्यमंत्री, जल्द ले सकते हैं शपथ

23 नवंबर को अजित पवार बीजेपी के खेमे में गए और शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के लिए खलनायक बन गए.

Updated on: 30 Nov 2019, 02:13 PM

मुम्बई:

23 नवंबर को अजित पवार बीजेपी के खेमे में गए और शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के लिए खलनायक बन गए. शरद पवार ने अपना पूरा राजनैतिक अनुभव लगा अजित पवार की बगावत खत्म कर दी और अजित को अपने खेमे में वापस ले आए. शरद पवार ने पार्टी और परिवार दोनों को बचालिया. उम्मीद थी कि अजित पवार अलग थलग पड़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अजित पवार का गर्मजोशी से पार्टी में स्वागत हुआ. शरद पवार के भतीजे के नाते अजित पवार का पहले से पार्टी में दबदबा है.

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पार्टी में छोटे से छोटा कार्यकर्ता अजित पवार को मिल सकता है. अपनी बात कह सकता है. उसका काम नियमों के अनुसार है तो अजित तुरंत करते हैं. बताया जाता है की एनसीपी के 80 फीसदी नेता अजित पवार को मानते है. शरद पवार के बाद अजित ही नेताओं का आधार है. एनसीपी की हाल ही में हुई एक बैठक में अजित पवार और बगावत में उनके साथ रहे धनंजय मुंडे ने उन नेताओं का जमकर मजाक उड़ाया जिन्होंने बगावत के लिए अजित पवार की खुलकर आलोचना की थी और उनकी फोटो को जूते मारे थे. अजित पवार की इस दबंगाई से कांग्रेस खेमा भी असहज महसूस कर रहा है.

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मंत्रिमंडल के पहले चरण में अजित पवार को शामिल नहीं किया गया. शरद पवार संदेश देना चाहते थे कि बगावत मंजूर नहीं है पर अजित पवार के दबाव के कारण जयंत पाटिल को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से रोका गया. जयंत पाटिल ने महज मंत्री पद की शपथ ली. शरद पवार का मानना था कि छगन भुजबल, आर आर पाटिल, विजयसिंह मोहिते पाटिल, अजित पवार इन्हें उपमुख्यमंत्री पद मिला अब बारी जयंत पाटिल की थी.

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एनसीपी का एक धड़ा चाहता है की उद्धव ठाकरे, बालासाहेब थोरात के सामने अजित पवार ही एनसीपी का पक्ष पुरजोर तरीके से रख पाएंगे, इसीलिए उपमुख्यमंत्री पद की कुर्सी को खाली रखा गया है. महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होगा. माना जा रहा है कि इससे पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होगा उसमें अजित पवार बतौर उप मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे.