अजीत पवार रहेंगे तो डिप्टी सीएम ही! चाहे देवेंद्र फडणवीस की सरकार हो या फिर उद्धव ठाकरे की
जानकारों का मानना है कि इस समय अजित पवार के दोनों हाथों में लड्डू हैं. अगर वे इस्तीफा दे देते हैं और हो है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनने वाली महाविकास अगाड़ी की सरकार में भी उन्हें वहीं पद मिल जाए.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा उलटफेर चल रहा है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस विधायकों के शक्ति प्रदर्शन और फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अजित पवार के इस्तीफे की अटकलें लगाई जा रही हैं. एनसीपी नेताओं का मानना है कि अजित पवार जल्द ही इस इस्तीफे को लेकर बड़ा फैसला ले सकते हैं. जानकारों का मानना है कि इस समय अजित पवार के दोनों हाथों में लड्डू हैं. अगर वे इस्तीफा दे देते हैं और हो है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनने वाली महाविकास अगाड़ी की सरकार में भी उन्हें वहीं पद मिल जाए.
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2004 के बाद से महाराष्ट्र में अजित पवार की महत्वाकांक्षाएं हिलोरें लेने लगीं और इसके बाद के 2009 लोकसभा चुनाव से पवार के कुनबे से सुप्रिया सुले का उदय हुआ. 2004 में एनसीपी को कांग्रेस से दो सीटें अधिक मिलने पर भी अजित पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे और कांग्रेस की ओर से विलासराव देशमुख ने बाजी मार ली थी. 71 एमएलए होने के बावजूद अजित पवार का तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने का सपना टूटा था. अजीत पवार का सपना एक बार फिर टूटा, जब डिप्टी सीएम के रूप में छगन भुजबल की ताजपोशी हुई थी.
अब के राजनीतिक हालात में महाराष्ट्र में एनसीपी के लिए अजित पवार की अनदेखी करना मुश्किल होगा. अजित पवार डिप्टी सीएम बनकर अपना दम दिखा चुके हैं और उनकी वापसी उसी शर्त पर होगी, जब उन्हें डिप्टी सीएम बनाने की मांग मानी जाएगी. संभव है कि परिवार और पार्टी को एकजुट रखने के लिए शरद पवार उनकी मांग मान लें.
जानकार बताते हैं कि 2009 के लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले का राजनीति में प्रवेश के साथ अजित पवार हाशिये पर जाने लगे. शरद पवार ने भी अपने परिवार के रोहित पवार के रूप में तीसरी पीढ़ी को आगे बढ़ाया, न कि अजित पवार के बेटे पार्थ को. ऐसे में शरद पवार के साये से निकलना अजित पवार के लिए जरूरी हो गया था.
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अब अगर शरद पवार अजित को पार्टी से निकालते हैं तो कुनबे के साथ-साथ पार्टी में भी दो फाड़ हो जाएंगे. इसका असर मराठा राजनीति में पवार के कुल प्रभाव पर पड़ेगा. यही कारण है कि शरद पवार अजीत के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले मनाने में लगे हुए हैं.
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