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अब ग्रेजुएशन के बाद भी कर सकेंगे Ph.D, यूजीसी ने नई शिक्षा नीति की गाइडलाइन की जारी

Ph.D. After 4 Year Graduation: पीएचडी करने का सपना देखने वालों के लिए खुशखबरी है. क्योंकि नई शिक्षा निति (new education policy)में पीएचडी करने के लिए उन्हें पोस्ट ग्रेजुएट होने की जरूरत नहीं होगी.

Updated on: 16 Dec 2022, 09:35 PM

highlights

  • अभी तक पीएचडी की अहर्ता है, मास्टर्स डिग्री
  • नई शिक्षा निति में 4 साल के यूजी कोर्स के बाद आप सीधे पीएचडी में ले सकेंगे प्रवेश 

नई दिल्ली :

Ph.D. After 4 Year Graduation: पीएचडी करने का सपना देखने वालों के लिए खुशखबरी है. क्योंकि नई शिक्षा निति (new education policy)में पीएचडी करने के लिए उन्हें पोस्ट ग्रेजुएट होने की जरूरत नहीं होगी. वे सीधा 4 साल का ग्रेजुएशन करने के बाद पीएचडी (Ph.D) के  लिए एलेजिबल हो जाएंगे. साथ ही यूजीसी (UGC)के मुताबिक वे इसका इसके लिए सिंगल या डबल मेजर भी ले सकते हैं. हालांकि चार साल ग्रेजुएशन कोर्स के बाद उन्हें यूजीसी  के नियमों को फॅालो करना होगा. यानि प्रवेश परीक्षा या नेट जेआरएफ होना जरूरी होगा. देश में कई विश्वविद्यालयों ने नई शिक्षा नीति (new education policy) के तहत पढ़ाई शुरू भी करा दी है. 

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यूजीसी के मुताबिक नई शिक्षा नीति के तहत चाल साल के ग्रेजुएशन कोर्स को देशभर में लागू होने के बाद 3 साल वाले कोर्स को बंद किया जाएगा. ताकि विद्यार्थियों को कोई कंफ्युजन न रहे. यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय के पास 3 या 4 साल का कोर्ष चयन करने का विकल्प भी रहेगा. जो विश्वविद्यालय चाहें वे तीन साल वाले यूजी कोर्स को चालू रख सकते हैं. जहां तीन साला यूजी कोर्स चालू रहेगा. वहां पीएडी के लिए अहर्ता पीजी ही माना जाएगा. नई शिक्षा नीति में कुछ फैसले यूनिवर्सिटी को अपने विवेक से लागू करने के लिए कहा गया है.

आपको बता दें कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 विद्यार्थियों को  इनोवेट‍िव और लचीली उच्च शिक्षा प्रणाली प्रदान करता है. जिसमें छात्रों को काफी छूट और सुविधाएं प्रदान की गई हैं. साथ ही कुछ डिग्रियों को समय घटा दिया गया है. साथ कौशल विकास के कार्यक्रमों पर ज्यादा जोर दिया गया है. क्योंकि अभी तक किसी भी प्रोफेसनल कोर्स में किताबी ज्ञान ज्यादा दिया जाता है. जिसमें विद्यार्थी जब कोर्स करके जॅाब के लिए जाता है तो उसे लगता है कि डिग्री तो महज एक अहर्ता मात्र ही है. नई शिक्षा नीति में इसका ध्यान दिया गया है. ज्यादातर कोर्ष ऐसे शुरु किये जाएंगे, जिसमें किताबों के साथ प्रयोगात्मक होंगे. जिन्हें करने के बाद विद्यार्थियों को जॅाब में परेशानी नहीं आएगी.