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एनईपी को प्रभावी बनाने का लक्ष्य, लेकिन CU में 6481 पद खाली

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक सभी 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 6481 पद खाली पड़े हुए है.

Updated on: 20 Feb 2022, 02:22 PM

highlights

  • 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू की जा रही
  • इन विश्वविद्यालयों में 6481 शिक्षकों का आभाव है

नई दिल्ली:

देशभर के 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है. इसमें इन विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की बड़ी भूमिका है. हालांकि जहां एक ओर देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू करने का दबाव है, वहीं इन विश्वविद्यालयों में 6481 शिक्षकों का आभाव है. देश भर के सभी 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दिल्ली विश्वविद्यालय सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है. हालांकि आज स्थिति यह है देश के इस सबसे बड़े विश्वविद्यालय ही में ही शिक्षकों के सबसे अधिक 859 पद खाली पड़े हैं. डीयू के अलावा जेएनयू में 317, जामिया मिलिया इस्लामिया में 211, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 611 और बीएचयू में शिक्षकों के 499 पद खाली हैं.

शिक्षकों के कुल 6481 पद खाली
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक सभी 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 6481 पद खाली पड़े हुए है. शिक्षाविदों का कहना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लंबे समय से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व सहायक प्रोफेसरों के पद खाली हैं. इन पदों को भरने के लिए कई बार विज्ञापन भी जारी हो चुके हैं, दिल्ली विश्वविद्यालयों जैसे बड़े विश्वविद्यालय द्वारा स्क्रीनिंग प्रक्रिया करने के बावजूद इन पदों को नहीं भरा नहीं गया. देश के शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने एक लिखित जानकारी में बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में 859, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 611, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में 499, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 359, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) में 317, डॉ.हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 230 पद खाली हैं.

हर प्रदेश में है यही हाल
इनके अलावा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 230 पद, जामिया मिलिया इस्लामिया में 211, पुदुचेरी विश्वविद्यालय में 199, विश्व भारती (पश्चिम बंगाल) में 191, पूर्वोत्तर पर्वर्तीय विश्वविद्यालय में 175, हैदराबाद विश्वविद्यालय में 153, इग्नू में 148, त्रिपुरा विश्वविद्यालय में 143, उड़ीसा केंद्रीय विश्वविद्यालय में 137, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में 129, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में 124, मणिपुर विश्वविद्यालय में 119 और राजस्थान विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 100 पद खाली हैं.

कैसे प्रभावी होगी एनईपी
कुछ ऐसी ही स्थिति हिमाचल प्रदेश में है जहां स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय में 97, कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय में 91, राजीव गांधी विश्वविद्यालय ( अरुणाचल प्रदेश ) में 89, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय में 89, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में 86, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय में 81, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में 80, नागालैंड विश्वविद्यालय में 80, असम विश्वविद्यालय में 78  और गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय 68 पद खाली हैं. झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में 61, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में 58, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में 58 और मिजोरम विश्वविद्यालय में 58 शिक्षकों के पद खाली है.

मिशन मोड में करनी थी भर्ती
गौरतलब है कि कि इससे पहले भी शिक्षा मंत्रालय के तत्कालीन सचिव अमित खरे ने शिक्षकों के बैकलॉग पदों को भरने के लिए 24 अगस्त 2021 को एक सर्कुलर जारी करते हुए सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों उच्च शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश दिए थे कि बैकलॉग पदों को किलियर करने के लिए 5 सितंबर 2021 से 4 सितंबर 2022 तक मिशन मोड़ में एक साल की अवधि के भीतर भर दिया जाना चाहिए. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ हंसराज सुमन का कहना है कि ये वैकेंसी तो केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विभागों की है जबकि उससे सम्बद्ध कॉलेजों में शिक्षकों के हजारों पद रिक्त पड़े हुए है. डॉ. सुमन ने बताया है कि शिक्षा मंत्रालय के सकरुलर से पहले यूजीसी भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को स्थायी नियुक्ति संबंधी कई बार सकरुलर जारी कर चुका है.

अब शिक्षाविदों ने केंद्र से की यह मांग
देश के कई शिक्षाविदों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मांग की है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने से पूर्व सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सर्कुलर जारी किया जाए. इसमें इन पदों को भरने की समय सीमा निश्चित की जाए तथा जो विश्वविद्यालय इन नियमों का पालन न करें उन विश्वविद्यालयों का अनुदान बंद करें. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्तियों का होना और उन्हें भरना एक सतत प्रक्रिया है. इसलिए शिक्षा मंत्रालय ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को विशेष अभियान और मिशन मोड तरीके से खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरने के निर्देश जारी किए हैं.