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अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क पास, नए सत्र से हो जाएगा लागू

एकेडमिक काउंसिल के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने भी अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क 2022 (यूजीसीएफ) को पारित कर दिया है.

Updated on: 12 Feb 2022, 08:49 AM

highlights

  • 3 सदस्यों ने प्रस्ताव पर अपना विरोध जताया
  • फिर भी बहुमत से पारित हो गया प्रस्ताव

नई दिल्ली:

एकेडमिक काउंसिल के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने भी अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क 2022 (यूजीसीएफ) को पारित कर दिया है. एनईपी 2020 द्वारा सुझाए गए सुधारों के आधार पर अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क को नए सत्र के लिए मंजूरी दी गई है. यूजीसीएफ, अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) में सुझाए गए सुधारों को लागू करने का एक तरीका है. अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क 2022 के मसौदा में सभी विषयों के लिए चार साल के स्नातक कार्यक्रम का कार्यान्वयन है. चार साल के स्नातक कार्यक्रम फोलो करने वाले छात्रों को कम से कम 50 प्रतिशत स्कोर करने के बाद 8 वें सेमेस्टर के पूरा होने पर ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी. इसमें कुल क्रेडिट 176 में से कम से कम 88 क्रेडिट लेने होंगे.

शुक्रवार को आयोजित दिल्ली विश्वविद्यालय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में 3 सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जताई. असहमति दर्ज कराने वालों में एडवोकेट अशोक अग्रवाल, राजपाल और निर्वाचित शिक्षक प्रतिनिधि डॉ. सीमा दास शामिल हैं. एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक के बाद अशोक अग्रवाल ने कहा कि यह यूजीसीएफ एक प्रमुख बदलाव है. डीयू अपने स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए जाना जाता है. यूजी अध्ययन में शामिल छात्रों और शिक्षकों की संख्या को देखते हुए सावधानी से चलना जरूरी है और 2013 में लागू चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम की गलतियों को न दोहराएं. हर साल डीयू के यूजी पाठ्यक्रमों में 70,000 से अधिक छात्र प्रवेश लेते हैं.

बैठक में शिक्षा और शिक्षण नौकरियों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव के बारे में भी गंभीर चिंताएं उठाई गईं. विभाग और कॉलेज स्तर पर वैधानिक निकायों से व्यापक परामर्श और प्रतिक्रिया का आग्रह किया गया और बताया गया कि 2013 के चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम की असफलता की पुनरावृत्ति डीयू के लिए एक निराशाजनक स्थिति है. अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम की रूपरेखा का मसौदा 21 जनवरी को सार्वजनिक डोमेन में जारी किया गया था. 30 जनवरी तक इस प्रतिक्रिया प्रस्तुत की जा सकती थी. 9 फरवरी को विश्वविद्यालय की एकेडमिक कांउसिल ने सत्र 2022-23 के लिए इस स्नातक पाठ्यक्रम को पारित कर दिया. इसके बाद अब 11 फरवरी को एग्जीक्यूटिव कांउसिल ने भी इसे पारित कर दिया है. अब अगले एकेडमिक सेशन से इसे अमल में लाया जाएगा.