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DU से College Of Arts को अलग करने पर रार बढ़ी

दिल्ली विश्वविद्यालय की ईसी से एनओसी लिए बिना इन संस्थाओं को विश्वविद्यालय से अलग करना गैर कानूनी है.

Updated on: 05 Apr 2022, 08:30 AM

highlights

  • दिल्ली सरकार फाइनेंशियल कट कर 12 कॉलेजों से पल्ला झाड़ रही
  • ईडब्ल्यूएस कोटे की 25 प्रतिशत सीटों को तुरंत जारी किया जाएं

नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार ने कॉलेज ऑफ आर्ट्स का अस्तित्व खत्म कर दिया है. कॉलेज को अम्बेडकर विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट्स विभाग के रूप में बदल दिया है. शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए एक भी दाखिला कॉलेज ऑफ आर्ट्स में नहीं किया गया. सोमवार को यह तथ्य दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के अध्यक्ष प्रोफेसर एके भागी ने सामने रखें. प्रोफेसर भागी ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक और विश्वविद्यालय शिक्षक संघ दिल्ली सरकार के इस कदम का विरोध करता है. उन्होंने कहा कि जीबी पंत कॉलेज में भी पहले इसी तरह एडमिशन बंद किये गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित इन प्रतिष्ठित संस्थाओं को दिल्ली सरकार राज्य विश्विद्यालयों का विभाग बनाकर इनकी प्रतिष्ठा को खत्म करना चाहती है.

अपने इसी विरोध को लेकर दिल्ली सरकार के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया. इसमें सैंकड़ों की संख्या में शिक्षक उपस्थित रहे. दिल्ली सरकार द्वारा कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली विश्विद्यालय से असंबद्ध करने, कॉलेज ऑफ आर्ट्स में शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए दाखिले न करने, दिल्ली सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्तपोषित 12 कॉलेजों की ग्रांट रोकने, 12 कॉलेजों की सैलरी, एरियर, मेडिकल एवं अन्य बकाया में कटौती करने का यह शिक्षक विरोध कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री आवास के बाहर डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर ए के भागी ने कहा डूटा तुरंत प्रभाव से कॉलेज ऑफ आर्ट्स को वापस करने एवं सत्र 2021-22 सत्र के लिए दाखिले तुरंत प्रारम्भ करने की मांग करती है. दिल्ली विश्वविद्यालय की ईसी से एनओसी लिए बिना इन संस्थाओं को विश्वविद्यालय से अलग करना गैर कानूनी है. चिल्ड्रन एडुकेशन अलाउंस का पैसा एवं मेडिकल बिल का पैसा पिछले 2 वर्षों से अटका हुआ है. दिल्ली सरकार फाइनेंशियल कट करके 12 कॉलेजों से अपना पल्ला झाड़ना चाहती है. केजरीवाल ने पंजाब चुनाव से पहले जनवरी में ग्रांट जारी की थी, चुनाव खत्म होते ही फिर ग्रांट रोकना शुरू कर दिया. इस वर्ष का प्रस्तावित बजट पिछले वर्ष के सैलरी बजट से भी कम है.

शिक्षक संघ का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित दिल्ली के 12 कॉलेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षक को केजरीवाल सरकार द्वारा घोस्ट एम्प्लॉयी बताया जा रहा है. दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में जो तदर्थ एवं अस्थाई शिक्षक काम कर रहे हैं, दिल्ली विधानसभा में बिल लाकर उनका समायोजन किया जाये. ईडब्ल्यूएस कोटे की 25 प्रतिशत सीटों को तुरंत जारी किया जाएं. उन्होंने कहा कि डूटा केंद्र सरकार से दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित एवं प्रशासित 28 कॉलेजों को सीधे यूजीसी से अधीन लेने की मांग करता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो वी एस नेगी ने कहा कि दिल्ली सरकार की दिल्ली विश्वविद्यालय को तोड़ने की मंशा को डूटा कभी कामयाब नहीं होने देगी. कॉलेज ऑफ आर्ट्स को लेकर दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को दोनों बार ईसी मीटिंग में खारिज किया गया था. धरने के बाद डूटा अध्यक्ष प्रो ए के भागी के नेतृत्व में प्रतिनिधि दल ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर अपना मांग पत्र भी सौंपा.