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डीयू : 57 कॉलेजों में पढ़ाई की जिम्मेदारी 35 सौ एडहॉक शिक्षकों पर

सांसद विश्वम्भर प्रसाद निषाद, चौधरी सुखराम सिंह यादव और अन्य सांसदों ने एडहॉक शिक्षकों की लगातार बढ़ती संख्या के विषय में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल से सवाल पूछा.

Updated on: 07 Feb 2021, 04:01 PM

नई दिल्ली :

दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकांश कॉलेजों में पढ़ाई की एक बड़ी जिम्मेदारी एडहॉक शिक्षकों पर है. यहां कई कॉलेजों में 60 से 70 फीसदी शिक्षकों के पदों पर लंबे समय से एडहॉक शिक्षक कार्य कर रहे है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने 57 ऐसे कॉलेजों के आंकड़े दिए हैं जहां बड़ी तादाद में एडहॉक शिक्षक हैं. इनमें कई कॉलेज देशभर में छात्रों के बीच खासे लोकप्रिय हैं. यहां दाखिले के लिए 95 फीसदी से भी अधिक कट ऑफ लिस्ट आती है. दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक दौलतराम कॉलेज में 135 एडहॉक शिक्षक, रामजस कॉलेज में 134 ,श्री वेंकटेश्वर कॉलेज में 126, कालिंदी कॉलेज में 114, देशबंधु कॉलेज में 110, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज में 109, दयालसिंह कॉलेज में 104, शहीद राजगुरू कॉलेज में 96, माता सुंदरी कॉलेज में 99, गार्गी कॉलेज में 87, कमला नेहरू कॉलेज में 84, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में 84, किरोड़ीमल कॉलेज में 81, इंद्रप्रस्थ कॉलेज में 79, श्री अरबिंदो कॉलेज में 75, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में 75 एडहॉक शिक्षक पढ़ा रहे हैं.

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दिल्ली विश्वविद्यालय में एडहॉक शिक्षकों के मुद्दे को लेकर राज्यसभा में तदर्थ शिक्षकों का मुद्दा उठाया गया है. शिक्षा मंत्रालय से महाविद्यालय वार और वर्ष वार ब्यौरा मांगा गया है. सांसद विश्वम्भर प्रसाद निषाद, चौधरी सुखराम सिंह यादव और अन्य सांसदों ने एडहॉक शिक्षकों की लगातार बढ़ती संख्या के विषय में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल से सवाल पूछा. इसके अतिरिक्त उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थायी शिक्षकों को नियुक्त नहीं किए जाने के कारण और इन कारणों के समाधान का प्रश्न सरकार से पूछा.

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राज्यसभा में सांसदों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने सूचित किया है कि डीयू के विभागों में अकादमिक वर्ष 2020-21 में लगभग 56 तदर्थ शिक्षक नियुक्त किए गए हैं. पोखरियाल ने आगे उत्तर देते हुए कहा कि रिक्त पदों को भरना एक सतत और निरंतर प्रक्रिया है. निशंक ने कहा, संसद के अधिनियम के तहत सृजित एक स्वायत्त निकाय होने के नाते, पदों को भरने का अधिकार विश्वविद्यालय का है. यूजीसी विनियमों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रणाली में सभी स्वीकृत, अनुमोदित पदों के तत्काल आधार पर भरा जाना है. उनका कहना है कि यूजीसी के साथ-साथ मंत्रालय इस प्रक्रिया की निरंतर निगरानी कर रहा है.

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शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने आईएएनएस से कहा कि केवल 57 कालेजों में ही 3,530 एडहॉक टीचर्स हैं. कुल मिलाकर पूरी दिल्ली यूनिवर्सिटी में 6,000 से अधिक एडहॉक टीचर्स हैं. साथ ही डीयू ने पिछले पांच वर्षों में कितने पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के अलावा पीडब्ल्यूडी पदों पर कितने एडहॉक शिक्षकों की नियुक्ति की है, इसका कोई ब्यौरा नहीं दिया है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने जुलाई 2019 में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर के कुल 857 स्थायी संकाय पदों का विज्ञापन दिया है. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. सुमन का कहना है कि कुछ विभागों या कॉलेजों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होती है उसके बाद बंद कर जाती है. उन्होंने स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने के लिए विश्वविद्यालय को लिखा है. पिछले तीन महीने से विभागों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थीं लेकिन उसे नए वाइस चांसलर के आने तक रोक दिया गया.