सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ट्रांसजेंडर शिक्षिका का मामला, स्कूल पर लगाए ये गंभीर आरोप, जानें पूरा मामला

Transgender Teacher Case: एक ट्रांसजेंडर स्कूल टीचर को बर्खास्त करने के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसके बाद शीर्ष कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने आरोप लगाया कि जेंडर की पहचान के बाद स्कूल ने उसे निकाल दिया.

Transgender Teacher Case: एक ट्रांसजेंडर स्कूल टीचर को बर्खास्त करने के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसके बाद शीर्ष कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने आरोप लगाया कि जेंडर की पहचान के बाद स्कूल ने उसे निकाल दिया.

author-image
Suhel Khan
New Update
Supreme court of india

Transgender Teacher Case: एक ट्रांसजेंडर स्कूल टीचर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जिसमें टीचर ने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. दरअसल, एक ट्रांसजेंडर शिक्षिका की पहचान का पता चलने के बाद स्कूल प्रबंधन ने उसे स्कूल से निकाल दिया. उसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.

Advertisment

ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि गुजरात और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग निजी स्कूलों ने लैंगिक पहचान उजागर होने के बाद उसकी सेवाएं समाप्त कर दी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा. मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

ये भी पढ़ें: बशर अल-असद के पतन के बाद सीरिया में उथल-पुथल, भारत ने निकाले अपने 75 नागरिक, जानें कैसे होगी वतन वापसी

पहचान उजागर होने के बाद स्कूलों ने किया बर्खास्त

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं. उसके बाद ट्रांसजेंडर शिक्षिका के मामले के फैसलो को सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला बेहद महत्वपूर्ण है, इसे हम जल्द तय करेंगे.

लैंगिक पहचान के आधार पर हुआ भेदभाव

बता दें कि एक ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.  जिसमें उन्होंने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाया था कि गुजरात और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग निजी स्कूलों ने उनकी लैंगिक पहचान का पता चलने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया. ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने याचिका में यह भी कहा कि स्कूलों ने उन्हें निकालने के पीछे कारण बताया था कि वह समय की पाबंद नहीं हैं. जबकि याचिकाकर्ता की वकील ने इसे "सामाजिक कलंक" से जोड़ते हुए तर्क दिया कि ट्रांसजेंडर शिक्षिका को स्कूलों में उसकी लैंगिक पहचान के आधार पर तिरस्कार और भेदभाव का सामना करना पड़ा.

ये भी पढ़ें: South Korea: मार्शल लॉ के चलते राष्ट्रपति कार्यालय में पुलिस की छापेमारी, पूर्व रक्षा मंत्री ने की खुदकुशी की कोशिश

स्कूल प्रशासन पर लगाए ये आरोप

वहीं याचिकाकर्ता शिक्षिका के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि, "यह एक गंभीर मामला है, जो दिखाता है कि कैसे एक ट्रांसजेंडर शिक्षिका को सिर्फ उसकी पहचान के कारण तिरस्कृत किया जाता है." उन्होंने आगे कहा कि स्कूल प्रशासन को पहले से ही पता था कि शिक्षिका ट्रांसवुमन हैं और वह छात्रों के साथ महिला हॉस्टल में रह रही थीं. लेकिन जब उनकी पहचान सामने आई कि वह एक ट्रांसवुमन हैं, तो स्कूल प्रशासन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया. हालांकि इसके जवाब में स्कूल प्रशासन ने अलग तर्क दिया. स्कूल प्रबंधन ने कहा कि शिक्षिका समय की पाबंद नहीं थीं, इसलिए उसे बर्खास्त किया गया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था.

ये भी पढ़ें: बड़ा फैसला! बांग्लादेश को महंगी पड़ेगी भारत से दुश्मनी, दाने-दाने को हो जाएगा मोहताज, सरकार रद्द करने जा रही है ये समझौता

teacher transgender Supreme Court Education News
      
Advertisment