कोरोना काल में तालाबंदी के दौरान पूरी फीस नहीं ले सकते स्कूल, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
कोरोना काल के दौरान निजी स्कूलों की फीस के संबंध में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने स्कूलों को छात्रों से सत्र 2020-21 की वार्षिक फीस लेने की अनुमति दे दी है.
नई दिल्ली:
कोरोना काल के दौरान निजी स्कूलों की फीस के संबंध में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने स्कूलों को छात्रों से सत्र 2020-21 की वार्षिक फीस लेने की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों को आदेश दिया कि वह छात्रों से राज्य कानून के तहत निर्धारित वार्षिक वसूल सकते हैं. हालांकि कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 की वार्षिक फीस में 15 प्रतिशत की कटौती करें, क्योंकि छात्रों ने इस वर्ष में वह सुविधाएं नहीं ली, जो वह स्कूल जाने पर लेते.
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जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह फीस 6 किस्तों में 5 अगस्त 2021 तक ली जाएगी. लेकिन फीस न दे पाने या देरी पर छात्रों का रिजल्ट नहीं रोका जाएगा और न ही छात्रों को ऑनलाइन या फिजिकल कक्षाओं में भाग लेने से नहीं रोकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो अभिभावक फीस न देने की स्थिति में हैं, स्कूल उनके मामले में विचार करेंगे. मगर स्कूल छात्रों के परीक्षा के परिणाम को नहीं रोकेंगे. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस महेश्वरी की बेंच ने माना कि यह आदेश डिजास्टर मैंनेजमेंट एक्ट 2015 के तहत नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इसमें यह कहीं नहीं है कि सरकार महामारी की रोकथाम के लिए शुल्क और फीस या अनुबंध में कटौती का आदेश दे सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला राजस्थान के निजी स्कूलों की अपील पर दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले उस फैसले पर रोक लगाई है, जिसमें कुल फीस का 70 फीसदी ही ट्यूशन फीस के रूप में लेने के आदेश दिए गए थे. दरअसल, अभिभावक चाहते थे कि कोरोना संकट के बीच निजी स्कूलों की फीस माफ कराई जाए. लेकिन स्कूल संचालक ऐसा करने को तैयार नहीं थे. जिसके बाद यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचा था. हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि स्कूल संचालक 70 फीसदी फीस ही लें.
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लेकिन इस फैसले से निजी स्कूल खुश नहीं थे. जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में अभिभावकों से पूरी फीस वसूले किए जाने की अपील की थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है और अभिभावकों की तरफ से लगाई गई याचिका को भी खारिज कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजस्थान में लगभग 36,000 निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों और 220 अल्पसंख्यक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों पर असर पड़ेगा.
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