राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) अगली पाठ्यक्रम समीक्षा में कोरोना वायरस एवं इससे जुड़े विषयों को पाठ्य पुस्तक में शामिल करने पर विचार कर रही है. एनसीईआरटी के निदेशक डा. ऋषिकेश सेनापति ने यह जानकारी दी. डा. ऋषिकेश सेनापति ने स बातचीत में कहा, ‘यह (कोरोना वायरस संक्रमण) राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गया है. इसको लेकर सभी चिंतित हैं. ऐसे में अगली पाठ्यक्रम समीक्षा में कोरोना वायरस एवं इससे जुड़े विषयों को शामिल करने पर जरूर विचार होगा.’ उन्होंने कहा कि इस समय पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और बाजार में आ गयी हैं, ऐसे में नयी पाठ्य पुस्तकें तैयार करते समय और समीक्षा के दौरान इसे (कोरोना) जोड़ने पर निश्चित तौर पर विचार किया जायेगा.
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एनसीईआरटी निदेशक से पूछा गया था कि क्या परिषद कोरोना वायरस से जुड़े विषय को पाठ्यक्रम में एक पाठ के रूप में शामिल करने पर विचार कर रही है ? बहरहाल, एनसीईआरटी ने लॉकडाउन के दौरान प्राथमिक कक्षा के लिये तैयार ‘वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर’ में दूसरी कक्षा के हिन्दी विषय में संवाद के माध्यम के रूप में प्रस्तावित गतिविधियों में 'कोरोना वायरस’ का विषय रखा है. इसके तहत बातचीत और पढ़ने-लिखने संबंधी गतिविधियों में कहा गया है कि बच्चे अपने अभिभावकों के साथ बातचीत करेंगे. यह बातचीत किसी हाल की घटना के बारे में हो सकती है. मसलन- वे पूछ सकते हैं कि कोरोना वायरस से सभी इतना क्यों डरे हुए हैं ? कोरोना वायरस क्या है ? वह दिखने में कैसा होता है ? फैलता कैसे है ? इसकी क्या कोई दवा नहीं है ? इस चर्चा के आधार पर बच्चे कहानी, कविता या पोस्टर तैयार कर सकते हैं.
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एनसीईआरटी के निदेशक ने कहा, ‘अभी हमने प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिये चार सप्ताह का वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर जारी किया गया है. आने वाले सप्ताह में हम उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिये भी वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर जारी करेंगे.’ उन्होंने कहा कि हमने यह अनुभव किया कि बच्चे इंटरनेट से पाठ्य सामग्री डाउनलोड कर लेते हैं लेकिन उनकी सहभागिता कम होती है. कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन में जब आनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है, ऐसे में हमने इस तरह का वैकल्पिक कैलेंडर तैयार किया है जिसमें बच्चों की सहभागिता अधिक हो. यह पूछे जाने पर कि आनलाइन शिक्षा के नाम पर छोटे छोटे बच्चों को मोबाइल एवं इंटरनेट की लत लगने को लेकर अभिभावकों की चिंताओं पर आप क्या कहेंगे, सेनापति ने कहा, ‘हमने ऐसी गतिविधियां सुझायी हैं जहां केवल सिस्टम से कनेक्टिविटी के लिये प्रौद्योगिकी या इंटरनेट की जरूरत होगी और गतिविधियां घर या आसपास की सामग्रियों या वस्तुओं से पूरी की जा सकती हैं.’
उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर हम बच्चों को मोबाइल, लैपटाप का आदि नहीं बनाना चाहते बल्कि लॉकडाउन के दौरान समय का सार्थक सदुपयोग करने में बच्चों की मदद करना चाहते हैं. जिन बच्चों के घरों में स्मार्ट फोन नहीं हैं और सामान्य मोबाइल फोन हैं, तो उनके जरिये भी एसएमएस के माध्यम से गतिविधियों को पूरा किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बच्चे कविताएं, कहानियां लिखें, पेंटिंग बनाएं. उन्होंने बताया कि कैलेंडर में हमने योग और तनाव दूर करने से जुड़ी गतिविधियों को भी शामिल किया है. डा. ऋषिकेश सेनापति ने कहा कि आने वाले समय में आनलाइन शिक्षा के महत्व को देखते हुए हमने नयी ई सामग्री तैयार करने के कार्य को आगे बढ़ाने का निर्णय किया है. इस विषय पर हमारी एक बैठक भी हो चुकी है.