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प्रिंसिपल लड़कियों से बोले- 'कल से कपड़े खोलकर आना स्कूल', हुआ हंगामा

आक्रोशित छात्राओं ने एकत्रित होकर स्कूल से थाने तक रैली निकाली और पुलिस से शिकायत की. पुलिस ने पाक्सो एक्ट के तहत प्रिंसिपल की खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

Updated on: 05 Sep 2021, 07:26 PM

highlights

  • प्रिंसिपल स्कूल से फरार, पुलिस तलाश में जुटी
  • कोई प्रिंसिपल तो कोई छात्राओं को गलत बता रहा
  • शिक्षक दिवस से पहले सामने आई यह घटना

 

नई दिल्ली :

शिक्षक दिवस पर जहां शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है, वहीं  मध्य प्रदेश के रायगढ़ जिले में शिक्षक और छात्राओं के बीच विवाद का मामला सामने आ रहा है. दरअसल, जिले के माचलपुर हायर सेकेंडरी स्कूल में छात्राओं ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने उन पर अभद्र टिप्पणी की है. इसे लेकर छात्राओं ने जमकर हंगामा किया. दरअसल, स्कूल में शनिवार को कुछ छात्राएं स्कूल यूनिफार्म की बजाय घर के कपड़ों में स्कूल पहुंच गईं. इस पर प्रिंसिपल ने उन्हें डांट दिया. छात्राओं का आरोप है कि प्रिंसिपल राधेश्याम मालवीय ने टिप्पणी की कि कल से कपड़ों के बिना ही स्कूल आ जाना. लड़कों को तुम ही बिगाड़ रही हो. छात्राओं का आरोप है कि इसके अलावा भी तमाम आपत्तिजनक टिप्पणी कीं. आक्रोशित छात्राओं ने एकत्रित होकर स्कूल से थाने तक रैली निकाली और पुलिस से शिकायत की. 

पुलिस ने पाक्सो एक्ट के तहत प्रिंसिपल की खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. आरोपी प्रिंसिपल फरार हैं. छात्राओं के परिजनों और नेताओं ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है. वहीं, इस घटना के बाद लोग अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं. शिक्षक दिवस पर कोई इसे शिक्षकों का गिरा हुआ काम बता रहा है तो कोई कह रहा है कि छात्राओं ने बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है. सोशल मीडिया पर कुलदीप सिंह नाम के एक यूजर ने पूछा कि छात्राएं क्या पहनकर स्कूल आई थीं, वहीं, रोहित नाम के यूजर ने दावा किया कि छात्राओं की शिकायत फर्जी है. उन्हें अध्यापक से माफी मांगनी चाहिए. 

बता दें कि छात्राओं के कपड़ों को लेकर शिक्षाविदों से लेकर समाज के आम लोगों तक लगातार बहस होती रही है. पहले भी यह मुद्दा तमाम स्कूल-कॉलेजों में उठ चुका है लेकिन कई सामाजिक विशेषज्ञ इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि प्रिंसिपल ने यदि यह टिप्पणी की है, तो यह बिल्कुल गलत है. छात्राओं के ड्रेस कोड पर अनुशासन बनाना भी है तो इस तरह की टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए. वहीं, कुछ सोशल मीडिया इस बात को उठा रहे हैं कि सख्ती बरतने के लिए कुछ बातें कहनी पड़ती हैं, इन्हें शब्दशः नहीं लिया जाना चाहिए. यह सुधार की प्रक्रिया का अंग है.