अब दिल्ली का होगा अपना शिक्षा बोर्ड, रट्टू तोता नहीं बनाएगी पढ़ाई
सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इस साल 20 से 25 सरकारी स्कूलों को इस बोर्ड में शामिल किया जाएगा.
highlights
- केजरीवाल सरकार ने दी दिल्ली के शिक्षा बोर्ड को मंजूरी
- 20 से 25 स्कूलों को किया जाएगा बोर्ड में शामिल
- बच्चों को कट्टर देशभक्त बनाया जाएगा
नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शनिवार को 'दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन' के गठन को मंजूरी दे दी. इसके साथ ही दिल्ली के अपने अलग शिक्षा बोर्ड (Education Board) का रास्ता साफ हो गया. सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इस साल 20 से 25 सरकारी स्कूलों को इस बोर्ड में शामिल किया जाएगा. उनकी संबंद्धता सीबीएसई (CBSE) स्कूलों से हटाकर इस बोर्ड से की जाएगी. गौरतलब है कि अभी दिल्ली में केवल सीबीएसई-आईसीएसई बोर्ड ही हैं. इसी माध्यम से अभी पढ़ाई होती है. हालांकि एकदम से सभी स्कूलों को दिल्ली के नए शिक्षा बोर्ड में शामिल नहीं किया जाएगा. किस स्कूल को इस बोर्ड में शामिल करना है, इसका फैसला वहां के टीचर, प्रिंसिपल और पेरेंट्स से सलाह-मशविरा करने के बाद लिया जाएगा.
दिल्ली में शिक्षा का हो रहा कायाकल्प
गौरतलब है कि दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों में अपना अलग बोर्ड है और उसी के तहत परीक्षाएं कराई जाती हैं. इसी प्रकार अब दिल्ली सरकार ने भी अपना अलग बोर्ड बनाने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, 'पिछले 6 साल में दिल्ली में शिक्षा में क्रांतिकारी काम हुए हैं. दिल्ली में पहली बार बजट का 25 फीसदी शिक्षा पर खर्च किया गया और सरकारी स्कूलों का कायापलट शुरू हो गया. सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल की शक्तियां बढ़ाई गई. स्कूल में मैनेजर की नियुक्ति की गई. कई प्रयोग पिछले 6 साल में कई प्रयोग किये गए जिससे सरकारी स्कूल के रिजल्ट प्राइवेट स्कूल से ज्यादा आने लगे.'
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बोर्ड पूरे करेगा तीन लक्ष्य
- ऐसे बच्चे तैयार करने हैं जो कट्टर देशभक्त हो. ऐसे बच्चे तैयार करने हैं, जो आने वाले समय में देश मे हर क्षेत्र में जिम्मेदारी उठाने को तैयार हों चाहे कोई क्षेत्र हो
- बच्चे अच्छे इंसान बने चाहे किसी भी धर्म या जाति के हों अमीर हो गरीब हों. सब एक-दूसरे को इंसान समझें. एक तरफ अपने परिवार की तरफ ध्यान दें तो दूसरी तरफ समाज के तरफ भी ध्यान दें
- बड़ी-बड़ी डिग्री लेने के बाद भी बच्चों को नौकरी नहीं मिल रही, लेकिन यह बोर्ड ऐसी शिक्षा प्रणाली तैयार करेगा कि बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो ताकि जब वह अपनी पढ़ाई पूरी करके निकले तो वह दर-दर की ठोकरे ना खाएं, बल्कि रोजगार उसके साथ हो
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दिल्ली शिक्षा बोर्ड की खासियत
- अब कुछ रटने पर जोर नहीं होगा, बल्कि समझने पर जोर होगा
- अब किसी बच्चे का आकलन केवल साल के आखिरी में 3 घंटे के आधार पर नहीं होगा, बल्कि पूरे साल आकलन चलता रहेगा
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या चल रहा है, उसे स्टडी किया गया है. उनको दिल्ली में अपने स्कूलों में लागू करेंगे. उच्च स्तरीय तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाएगा
- नए बोर्ड की कोशिश होगी कि बच्चों के पर्सनेलिटी डेवलपमेंट पर ध्यान दे
- दिल्ली में 1000 सरकारी स्कूल और 1700 प्राइवेट स्कूल हैं
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