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Unlock 5: बच्चों को स्कूल भेजने से पहले माता-पिता को इन बातों का रखना होगा खास ख्याल

अनलॉक-5 (Unlock-5) के तहत 15 अक्टूबर से स्कूल खुलने जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने  कोरोना काल के बीच राज्यों को स्कूल खोलने की इजाजत दे दी है. हालांकि सरकार ने ये भी साफ कहा है कि सभी राज्य सरकार स्कूल खोलने के फैसले को लेकर स्वतंत्र है.

Updated on: 13 Oct 2020, 02:34 PM

नई दिल्ली:

अनलॉक-5 (Unlock-5) के तहत 15 अक्टूबर से स्कूल खुलने जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने  कोरोना काल के बीच राज्यों को स्कूल खोलने की इजाजत दे दी है. हालांकि सरकार ने ये भी साफ कहा है कि सभी राज्य सरकार स्कूल खोलने के फैसले को लेकर स्वतंत्र है. लेकिन कई राज्यों में 15 अक्टूबर से स्कूल खुल रहे है, ऐसे में बच्चों के माता-पिता को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा.  दरअसल,  कोरोना के बीच कई सीजन वाली बीमारिया  शुरू होने वाली है, जैसे फ्लू. ऐसे में बच्चों के माता-पिता को फ्लू और कोरोना के बीच अतंर जानना जरूरी होगा.

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एक टीम द्वारा JAMA नेटवर्क ओपनट्रस्टेड सोर्स में प्रकाशित नए शोध में पाया गया है कि अस्पताल में भर्ती दर, गहन देखभाल इकाई (ICU) में प्रवेश, या फ्लू या COVID-19 वाले बच्चों में वेंटिलेटर के उपयोग में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं थे. शोधकर्ताओं ने देखा कि फ्लू से ज्यादा कोविड वाले लोगों में बुखार, खांसी, दस्त, उल्टी, सिरदर्द, शरीर में दर्द, या छाती में दर्द होने पर उनका इलाज किया गया.

विशेषज्ञ के मुताबिक, अगर बच्चे को बुखार, खांसी, उल्टी या दस्त, या गले में खराश है तो माता-पिता को अपने बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए, यह निर्धारित करने के लिए कि क्या उन्हें कोविड-19 या इन्फ्लूएंजा के लिए परीक्षण किया जाना चाहिए.

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वायरल इंफेक्शन फ्लू ज्यादातर सर्दियों में फैलना शुरू होता है. फ्लू और कोरोना के लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं इसलिए बिना मेडिकल जांच दोनों में फर्क ढूंढना काफी मुश्किल काम है.

बता दें कि फ्लू एक वायरल इंफेक्शन होता, जो खांसने या छींकने से अन्य दूसरे लोगों में फैलता है. आप यह जानते हैं कि कोविड-19 की बीमारी भी ऐसे ही फैलती है. हालांकि फ्लू से संक्रमित मरीज लगभग एक हफ्ते में ठीक हो जाता है, मगर कोरोना मरीज की रिकवरी में लंबा समय लग जाता है.

स्कूलों और कोचिंग संस्थानों पर दिशा-निर्देश

राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों को चरणबद्ध तरीके से 15 अक्टूबर के बाद स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को फिर से खोले जाने के बारे में निर्णय लेने की छूट दी गई है. स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को फिर से खोलने के लिए, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारें 15 अक्टूबर के बाद क्रमबद्ध तरीके से ऐसा करने का निर्णय ले सकती हैं. स्थिति के आकलन के आधार पर संबंधित स्कूल और संस्थान प्रबंधन के साथ परामर्श करके निर्णय लिया जाएगा और यह कुछ शर्तों के अधीन होगा.

ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा को शिक्षण के तरीके के रूप में प्राथमिकता दी जाएगी और इन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा. स्कूल जहां ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कर रहे हैं, अगर कुछ छात्र भौतिक रूप से उपस्थित होने के बजाय ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेना पसंद करते हैं, तो उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जा सकती है. छात्र अभिभावकों की लिखित सहमति के बाद ही स्कूलों और संस्थानों में जा सकते हैं.

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा जारी एसओपी के आधार पर स्कूलों और संस्थानों को फिर से खोलने के लिए राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश स्वास्थ्य और सुरक्षा सावधानियों के बारे में अपनी एसओपी तैयार करेंगे. जिन स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जाती है, उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों द्वारा जारी की जाने वाली एसओपी का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा.

शिक्षा मंत्रालय के तहत उच्च शिक्षा विभाग, कॉलेजों और उच्च शिक्षा संस्थानों के खुलने के समय पर स्थिति के आकलन के आधार पर गृह मंत्रालय से परामर्श कर निर्णय ले सकता है. हालांकि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय में पीएचडी और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को 15 अक्टूबर से खोलने की अनुमति होगी. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रयोगशाला और प्रायोगिक कार्यों की आवश्यकता होती है.