कोरोना के बीच खुले स्कूल, लेकिन बच्चों की पूरी जिम्मेदारी होगी माता-पिता की
महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते आंकड़ों के बीच देशभर में एक बार फिर से स्कूलों को खोल दिया गया है. केंद्र सरकार ने कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है. स्कूल की सभी कक्षाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से चलाया जा रहा है.
नई दिल्ली:
महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते आंकड़ों के बीच देशभर में एक बार फिर से स्कूलों को खोल दिया गया है. केंद्र सरकार ने कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है. स्कूल की सभी कक्षाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से चलाया जा रहा है. वहीं कक्षाएं 2-2 घंटे की कई पालियों में लगाई जा रही हैं. इसी बीच स्कूलों की तरफ से बच्चों के घरों पर एक लेटर भेजा गया है. इस लेटर में स्कूल मैनेजरों ने बच्चों के मां-बाप से 5 बिन्दुओं पर सहमति मांगी है. इसके बाद ही बच्चों को स्कूल में प्रवेश दी जाएगी.
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स्कूल की तरफ से जारी इस लेटर में बच्चों के माता-पिता से 5 सवाल पूछे गए हैं. इसमें बच्चों के घरवालों से उनकी सहमति मांगी गई है. अगर वो सहमत होते हैं तो साइन कर के उस लेटर को स्कूल भेज दें. वरना सहमत नहीं है तो बच्चों को स्कूल न भेजें.
माता-पिता को इन बातों पर देनी होगी सहमति-
- बच्चा हैंड सेनेटाइजर, पानी की बोतल और खाना घर से लेकर आएगा.
- बच्चा बिना मास्क के घर नहीं आएगा.
- स्कूल को इजाज़त होगी की वो बच्चे की थर्मल चेकअप कर सके.
- बच्चे की हैल्थ की जानकारी मां-बाप गोपनीय नहीं रखेंगे.
- आखिर में यह सहमति देनी होगी कि हम अपने बच्चे को भौतिक रूप से स्कूल भेजेंगे, और उसकी हेल्थ की जिम्मेदारी पूरी तरह से हमारी होगी.
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हालांकि उत्तराखंड में 10वीं और 10वीं कक्षा के लिए स्कूल एक नवंबर को फिर से खुलेंगे. हालांकि ज्यादातर अभिभावक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि राज्य में अभी भी कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं. स्कूल प्रबंधनों का कहना है कि वे कोविड-19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करते हुए कक्षाओं को फिर से शुरू करने के लिए वह तैयार हैं. इस प्रोटोकॉल में सामाजिक दूरी के लिए कक्षाओं में प्रतिदिन 50 प्रतिशत उपस्थिति को सीमित करना शामिल हैं. हालांकि, एहतियाती कदम उठाये जाने के बावजूद कोई छात्र संक्रमित हो जाता है, तो वे इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं.
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