CBSE ने डायबिटीज से पीड़ित छात्रों को दी राहत, अब 10वीं-12वीं के एग्जाम में ले सकते हैं स्नैक्स

भारत में काफी संख्या में बच्चे टाइप-1 डायबिटीज के शिकार हैं। ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को सही बनाए रखने के लिए उन्हें रोजाना इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है।

भारत में काफी संख्या में बच्चे टाइप-1 डायबिटीज के शिकार हैं। ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को सही बनाए रखने के लिए उन्हें रोजाना इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है।

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Sonam Kanojia
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CBSE ने डायबिटीज से पीड़ित छात्रों को दी राहत, अब 10वीं-12वीं के एग्जाम में ले सकते हैं स्नैक्स

फाइल फोटो

टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित छात्रों को सीबीएसई ने बड़ी राहत दी है। अब डायबिटीज से पीड़ित 10वीं और 12वीं के छात्र एग्जाम के दौरान स्नैक्स खा सकेंगे। हालांकि, इसके लिए प्रिंसिपल को स्टूडेंट का मेडिकल सर्टिफिकेट भेजना होगा।

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भारत में काफी संख्या में बच्चे टाइप-1 डायबिटीज के शिकार हैं। ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को सही बनाए रखने के लिए उन्हें रोजाना इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है।

सीबीएसई के एग्जामिनेशन कंट्रोलर ने एक सर्कुलर जारी किया है। इसके तहत कहा गया है कि इन बच्चों को हाइपोग्लाइसीमिया से बचने के लिए लगातार कुछ खाने-पीने की जरूरत पड़ती है। इस वजह से एग्जाम के दौरान छात्र फल, स्नैक्स और शुगर टैबलेट ला सकते हैं, जिसे निरीक्षकों के पास रखा जाएगा।

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डॉक्टरों का कहना है कि टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित छात्र एग्जाम से करीब एक घंटे पहले इंसुलिन का इंजेक्शन लेते हैं। ऐसे में कुछ ही घंटे बाद उनका शुगर लेवल गिरने लगता है। बच्चे को पसीना आने लगता है और सिर दर्द की शिकायत हो जाती है। इस वजह से छात्र की परफॉर्मेंस पर नेगेटिव असर पड़ता है।

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Source : News Nation Bureau

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