कोरोना के कारण रद्द हुई बोर्ड परीक्षाएं, अभिभावकों ने CBSE से वापस मांगी Exam Fees

वहीं 10वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द होन के बाद छात्रों के अभिभावक बोर्ड से परीक्षा फीस वापस करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि बोर्ड ने विषय और प्रैक्टिकल पेपर की संख्या के आधार पर हर एक छात्र से 1500 रुपये से लेकर 1800 रुपये तक की फीस ली थी.

वहीं 10वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द होन के बाद छात्रों के अभिभावक बोर्ड से परीक्षा फीस वापस करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि बोर्ड ने विषय और प्रैक्टिकल पेपर की संख्या के आधार पर हर एक छात्र से 1500 रुपये से लेकर 1800 रुपये तक की फीस ली थी.

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Vineeta Mandal
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CBSE 10th board exam cancel( Photo Credit : सांकेतिक चित्र)

देशभर में बढ़ते कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के बीच केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 10वीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है. इसके साथ ही सीबीएसई 12वीं (CBSE 12th Board Exam) की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (Ramesh Pokhriyal) ने बुधवार को इसकी घोषणा की. छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और अन्य लोगों की ओर से परीक्षाएं रद्द करने की मांग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया. वहीं 10वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द होन के बाद छात्रों के अभिभावक बोर्ड से परीक्षा फीस वापस करने की मांग कर रहे हैं.

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बता दें कि बोर्ड ने विषय और प्रैक्टिकल पेपर की संख्या के आधार पर हर एक छात्र से 1500 रुपये से लेकर 1800 रुपये तक की फीस ली थी.  मालूम हो कि इस साल 10वीं की परीक्षा देने के लिए करीब 21.5 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था.

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एक मीडिया में छपी खबर के मुताबिक,  दिल्ली के मदनपुर खादर में स्लम में रहने वाली 65 साल की शांति राणा कपड़े सिल कर अपने चार पोते-पोतियों को पढ़ाती हैं. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पिता यानी शांति के बेटे का निधन हो चुका है. उनकी बहू उनके साथ नहीं रहती हैं.  पिछले साल फरवरी में उनकी सबसे बड़ी पोती कीर्ति ने 1800 रुपये बोर्ड फीस जमा कराई थी. अब चूंकि बोर्ड परीक्षाएं रद्द हो चुकी हैं ऐसे में शांति चाहती हैं कि बोर्ड फीस की एवज में लिए गए पैसे वापस कर दे. इसी तरह कई पेरेंट्स और गार्जियन बोर्ड से पैसे वापस करने की मांग कर रहे हैं. खास वे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं.

दिल्ली यूनिवर्सिटी एग्जीक्यूटिव काउंसिल के मेंबर और ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक अग्रवाल का कहना है कि जब बोर्ड ने एग्जाम सेंटर पर खर्च नहीं, इन्विजिलेटर्स और एग्जामिनर्स को पैसे नहीं दिए तो उन्हें आवश्यक रूप से एग्जाम फीस को वापिस करना चाहिए. बोर्ड फीस में परीक्षा आयोजित कराने से संबंधित सभी तरह के खर्च शामिल होते हैं. चूंकि बोर्ड ने जब इस तरह का कोई खर्च ही नहीं किया तो उसे फीस रिफंड करनी चाहिए.

गौरतलब है कि सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं 4 मई से 14 जून तक आयोजित होने वाली थीं और परिणाम 15 जुलाई तक घोषित किए जाने थे. निशंक ने ट्वीट किया, "4 मई से 14 जून, 2021 के बीच होने वाली बोर्ड की दसवीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं. दसवीं कक्षा के परिणाम बोर्ड द्वारा विकसित किए जाने वाले एक वस्तुनिष्ठ मापदंड के आधार पर तैयार किए जाएंगे."

उन्होंने कहा, "अगर कोई भी उम्मीदवार, जो इस आधार पर उसके लिए आवंटित अंकों से संतुष्ट नहीं होता है तो उसे तब परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाएगा, जब परीक्षा आयोजित करने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होंगी."

निशंक ने आगे कहा कि 12वीं कक्षा की परीक्षा बाद में आयोजित की जाएगी. इसके लिए एक जून को सीबीएसई द्वारा समीक्षा की जाएगी और स्थिति की जानकारी बाद में साझा की जाएगी. परीक्षाओं की शुरूआत से पहले कम से कम 15 दिनों का नोटिस दिया जाएगा.

मंत्री ने उल्लेख किया कि कोरोना मामलों में हो रही वृद्धि को देखते हुए विभिन्न स्तरों पर आयोजित होने वाली परीक्षाओं की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करने के बाद यह निर्णय लिया गया है.

पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 मामलों में तेजी से वृद्धि के मद्देनजर 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए आगामी बोर्ड परीक्षा रद्द करने की मांग की जा रही थी. निशंक के अलावा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, स्कूल और उच्च शिक्षा सचिव और अन्य शीर्ष अधिकारी बैठक में शामिल हुए.

प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों की भलाई सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र छात्रों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए, साथ ही उनके शैक्षणिक हितों को नुकसान न पहुंचे.

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