Ambedkar Jayanti 2020: जानें यहां संविधान निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर के बारे में सबकुछ

आज भारतीय संविधान के निर्माता और दलितों के मसीहा कहे जाने वाले डॉ भीम राव अम्बेडकर की जयंती है. उन्हें बाबा साहेब या बाबा साहब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है. बाबा साहेब ने अपने जीवन में समाज और महिलाओं के लिए तमाम ऐसे कई हितकारी काम किए हैं.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
ambedkar jayanti

Ambdekar Jayanti 2020( Photo Credit : फाइल फोटो)

आज भारतीय संविधान के निर्माता और दलितों के मसीहा कहे जाने वाले डॉ भीम राव अम्बेडकर की जयंती है. उन्हें बाबा साहेब या बाबा साहब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है. बाबा साहेब ने अपने जीवन में समाज और महिलाओं के लिए तमाम ऐसे कई हितकारी काम किए हैं, जिसके बाद वो सिर्फ दलितों के नेता ही नहीं बल्कि अन्यों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं. महार जाति में जन्मे अम्बेडकर का जीवन अंत तक काफी संघर्षपूर्ण रहा था, जातिवाद का दंश उन्हें ताउम्र डसता रहा है लेकिन वो फिर भी बिना रूके समाज कल्याण के लिए कार्य करते रहे.  

Advertisment

बाबा साहेब ने समाज से छुआ-छूत को दूर करने के लिए एक लंबा संघर्ष किया था और इसके लिए कई आंदोलन भी किया था. लेकिन उनके तमाम अथक प्रयासों के बावजूद भी इस समाज से जातिवाद पूरी तरह से नहीं मिट पाया है. बाबा साहेब ने अपने जीवन में शिक्षा को बहुत महत्वपूर्ण मानते थे इसलिए सुविधा के आभाव में भी उन्होंने कई डिग्रीयां और उच्च शिक्षा हासिल की. इतना ही नहीं उनके पास संपत्ति नाम पर बस कई किताबें थी, जो उन्हें खुद से ज्यादा प्यारी थी वो हर दिन कुछ नया सीखने और पढ़ने का प्रयास करते थे. 

और पढ़ें: 9 भाषाएं और 32 डिग्रियां, जानें बाबा अंबेडकर के बारे में ऐसी ही रोचक बातें

आज के समय में अम्बेडकर के अनुयायियों को इस ओर खास ध्यान देने की जरूरत है कि बिना शिक्षित हुए बाबा साहेब के कदमों पर नहीं चला जा सकता है और न ही समाज में बदलाव.  तो आइए आज अम्बेडकर जयंती के मौके पर जानते है उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलू को.

बाबा साहेब का जीवन-

अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के मऊ में हुआ वो अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे. उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. अम्बेडकर को प्यार से सभी बाबा साहेब कह कर पुकारते है.

बाबा साहेब का परिवार महार जाति से संबंध रखता था, जिसे अछूत माना जाता था. बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखने वाले अम्बेडकर ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की. स्कूल से लेकर कार्यस्थल तक उन्हें अपमानित किया गया. शिक्षित होने के बाद भी उन्हें जातिवाद का दंश झेलना पड़ा था. 

ये भी पढ़ें: देश के अन्नदाता को कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी, कृषि मंत्री का बड़ा बयान

6 दिसंबर 1956 को अम्बेडकर इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन बाबा साहेब अपने विचारों के जरिये आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा है. कई साल पहले उन्होंने समाज में भेदभाव मुक्त भारत की जो अलख जगाई थी वो अब भी समाज में जल रही है क्योंकि असमानता की आग में अाज भी कई दलित जलते नजर आते है.

बाबा साहब का महत्वपूर्ण योगदान-

शोषित और अशिक्षित लोगों को जगाने के लिए वर्ष 1927 से 1956 के दौरान मूक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक एवं पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया. उन्होंने मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊॅच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए मनुस्मृति दहन (1927), महाड सत्याग्रह (वर्ष 1928), नासिक सत्याग्रह (वर्ष 1930), येवला की गर्जना (वर्ष 1935) जैसे आंदोलन चलाये. 

सन् 1945 में उन्होंने अपनी पीपुल्‍स एजुकेशन सोसायटी के जरिए मुम्बई में सिद्वार्थ महाविद्यालय तथा औरंगाबाद में मिलिन्द महाविद्यालय की स्थापना की. 14 दिसंबर 1956 -हिंदू अछूत मिलन बिल पास हुआ (यह बिल बाबा साहेब के परिनिर्वाण के बाद पास हुआ था लेकिन इसको वो अपने सामने पास होते देखना चाहते थे ). उनके दूसरे शोध ग्रंथ ‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास‘ के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई. 

सन 1945 में उन्होंने महानदी का प्रबंधन की बहुउददे्शीय उपयुक्तता को परख कर देश के लिये जलनीति तथा औद्योगिकरण की बहुउद्देशीय आर्थिक नीतियां जैसे नदी एवं नालों को जोड़ना, हीराकुण्ड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजना, राष्ट्रीय जलमार्ग, केन्द्रीय जल एवं विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किये.

बाबा साहेब देश के आजाद होने के बाद पहले कानून मंत्री भी बने और उन्होंने बतौर कानून मंत्री कई महत्पूर्ण कार्य भी किए थे. भारत के संविधान के निर्माण कि जिम्मेदारी अम्बेडकर को दी गई थी. जहां उन्होंने हर जाति विशेष ,वर्ग को देखते हुए संविधान का निर्माण किया गया.

26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप कर देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पध्दति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत किया.भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने और 18 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार किया गया. भारत के संविधान के निर्माण में डॉ भीमराव अम्बेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए उन्हें 'संविधान का निर्माता' कहा जाता है. संविधान को 26 जनवरी1950 को लागू किया गया था.

1951 में संसद में अपने 'हिन्दू कोड बिल' मसौदे को रोके जाने के बाद अम्बेडकर ने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया. इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी.

महिलाओं के विकास में बाबा साहब का योगदान-

अम्बेडकर ने एक समय ‘मनुस्मृति’ को जला दिया था जिसके बाद एक विशेष वर्ग में गुस्सा दिखा था. इस घटना का विरोध आज भी होता है लेकिन इस मनुस्मृति ने सिर्फ जातिप्रथा,ऊँच-नीच ,जातिवाद को ही बढ़ावा नहीं दिया था बल्कि इस पुरूषप्रधान समाज को आगे बढ़ाने में भी मदद की थी.

मनु संहिता के दूसरी ओर इसके पांचवे अध्याय के 155वें श्लोक में लिखा है कि 'स्त्री का न तो अलग यज्ञ होता है ओर न ही कोई व्रत न उपवास उनके लिए पति कि सेवा ही स्वर्ग देने वाली है. जो पतिव्रता स्त्री अपने पतिलोक कि इच्छा करे, वह पति के जीवन में या मरन में उसके विरुद्ध कोई आचरण न करे.'

ये भी पढ़ें: कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में खड़े रहने से बड़ी कोई देशभक्ति और क्या हो सकती है: सोनिया गांधी

इस तरह धर्म कोई भी महिलाओं के विकास में बाधा उत्पन्न करती आयी है पुरुषप्रधान समाज हमेशा से धर्म के नाम पर महिलाओं का शोषण करता आया है. भारत में महिलाओं की स्थिति को देखते हुए डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर ने महिलाओं के विकास और उनके पूरे अधिकारों को दिलाने के साथ उन्हें सशक्त बनाने के लिए सन् 1951 में ‘हिंदू कोड बिल’ संसद में पेश किया. इस बिल के साथ कुछ बुनियादी चीज़े स्थापित करनी थी और उसके उलंघन को एक दंडनीय अपराध बनाना था.

हिंदू कोड बिल की खासियत-

  • स्त्रियों के लिए तलाक का अधिकार.
  •  हिंदू कानून के अनुसार विवाहित व्यक्ति के लिए एकाधिक पत्नी अर्थात बहुविवाह प्रतिबंध.
  •  अविवाहित कन्याओं और विधवाओं को बिना कोई शर्त के पिता या पति के सम्पति पर उत्तराधिकारी बनने का हक. अंतरजातीय विवाह को मान्यता दी जाए.
  • इस बिल में अंतनिर्हित ये न्यूनतम सिद्धांत धार्मिक रीति से विवाहित स्त्रियों को इन अधिकारों का इस्तेमाल करने और लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है

इस तरह हिंदू कोड बिल महिलाओं को पारंपरिक, धार्मिक बंधनों से मुक्ति दिलाने के लिए उठाया गया एक विशेष कदम था. जो हिंदू समाज को जाति और लिंग के कारण पैदा हुई असामनता से आजाद करा सकता था.

ऐसे किया धर्म परिवर्तन-

14 अक्टूबर1956 को नागपुर की दीक्षाभूमि अपने 600,000 अनुयायियों के साथ हिंदू धर्म की जातिप्रथा से तंग आकर बौद्ध धर्म को अपना लिया था जो इतिहास में आजतक खुद की इच्छा से किया गया सबसे बड़ा धर्म परिवर्तन माना जाता है.

अम्बेडकर ने दलितों और निचली जातियों के लिए आरक्षण मांग भी इसलिए ही की थी, उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिल सके हर विकास का द्वार उनके लिए भी खुल सके. आरक्षण देना मात्र उनका मकसद उनके सपनों को उड़न देने के लिए पंख देना था ना कि बैसाखी.

अम्बेडकर ने ये भी कहा था कि जिस दिन समाज में दलितों को समान अधिकार मिल जाएगा, उस दिन आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर देना होगा. क्योंकि वो कभी नहीं चाहते थे कि उनकी जाति के लोग आरक्षण की बैसाखी लेकर हमेशा चले.

अम्बेडकर एक दूरगामी सोच रखते थे और उसी के हिसाब से अपने कार्य और योजनाएं बनाते थे. उन्होंने उस समय जिन-जिन कार्य और योजनाओं की बात की थी, उसका नतीज़ा कई सालों बाद देखने को मिला.

दुःख इस बात का है कि आज के समय में अम्बेडकर के नाम पर कई लोग राजनीति करते नज़र आते है. उनके नाम पर आज हर कोई दलित, पिछड़ी जातियों पर हमदर्दी दिखाते दिख जाते है. आज भी कुछ जाति विशेष की युवा पीढ़ी, अम्बेडकर को ओछी निगाहों से देखती है. उन्हें लगता है अम्बेडकर ने उनके लिए कुछ नहीं किया.

और पढ़ें: जयंती: महान क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले आखिर कैसे बनें महिलाओं के मसीहा, यहां जानें सबकुछ

ऐसे में जरूरी हो जाता है कि इन पर राजनीति और दिखावा करने के अलावा अम्बेडकर की असल सोच, योगदान, जीवन संघर्ष को लोगों तक पहुंचाया जाए. अम्बेडकर की मूर्ति, योजना, पार्क, लाइब्रेरी, कार्यक्रम इन सब चीजों को करने के अलावा विद्यालयों की लाइब्रेरी में बाबा साहेब अम्बेडकर की किताबों को उपलब्ध कराया जाए. आज भी कई लाइब्रेरी विश्वविधालय में अम्बेडकर की किताबों के संग्रह की कमी है और परिणामस्वरूप बिना जाने पढ़े उन्हें सिर्फ एक जाति विशेष का नेता मान लिया जाता है.

बाबा साहेब अम्बेडकर को भारत रत्न ,कोलम्बिया युनिवर्सिटी की और से ‘द ग्रेटेस्ट मैं द वर्ल्ड’ कहा गया. वही ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से ‘द यूनिवर्स मेकर’ कहा गया. इसके साथ ही आईबीएन , आउटलुक मैगज़ीन और हिस्ट्री (टीवी चैनल ) के किए गए सर्वे में आज़ादी के बाद देश का सबसे महान व्यक्ति चुना गया है. लेकिन बाबा साहेब के सपनों का भारत अब भी दूर है.

अम्बेडकर कोट्स-

1. मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्‍छा है, मेरे बताए हुए रास्‍ते पर चलें: डॉ. भीम राव अम्बेडकर

2. किसी भी कौम का विकास उस कौम की महिलाओं के विकास से मापा जाता हैं: डॉ. भीम राव अम्बेडकर

dr bhimrao ambedkar Baba Saheb Ambedkar Birthday Indian Constitutions Ambedkar Jayanti Ambedkar Jayanti 2020 Baba Saheb Ambedkar
      
Advertisment