logo-image

जम्मू कश्मीर राज्य के नाम पर दर्ज हुआ ये अनचाहा रिकार्ड, जानकर रह जाएंगे हैरान

जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस छीन कर उसे एक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया आज तक के भारतीय इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी राज्य को डिमोशन का सामना करना पड़ा है.

Updated on: 09 Aug 2019, 12:02 PM

highlights

जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस छीन कर उसे एक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया.

जम्मू कश्मीर को 1950 से ही विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था.

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद अब इस राज्य का दो भागों में बंटवारा हो जाएगा. 

नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) राज्य के नाम पर एक अनचाहा रिकार्ड दर्ज हो गया है. दरअसल, स्वतंत्र भारत के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ है कि किसी भी राज्य को डिमोशन मिला हो लेकिन करीब 69 साल से स्पेशल स्टेटस का दर्जा पाने और उसका लाभ उठाने वाले राज्य जम्मू कश्मीर के साथ हुआ है. जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस छीन कर उसे एक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया आज तक के भारतीय इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी राज्य को डिमोशन का सामना करना पड़ा है. हालांकि जम्मू कश्मीर के साथ ऐसा ही हुआ है, उसे 1950 से ही विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था और एक झटके में ही उससे स्पेशल स्टेटस या विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया गया.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद अब इस राज्य का दो भागों में बंटवारा हो जाएगा. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल पास होने के बाद जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में 2 नए केंद्र शासित प्रदेश देश के नक्शे पर दिखाई देंगे.

यह भी पढ़ें: दिल्‍ली पहुंची वाघा बॉर्डर पर फंसी समझौता एक्‍सप्रेस, 76 भारतीय और 41 पाकिस्‍तानी थे सवार

भारत में जम्मू-कश्मीर जैसे बड़े राज्य का डिमोशन हुआ है तो कई ऐसे राज्य हैं जिन्होंने भारतीय नक्शे पर प्रमोशन पाया और अपनी अलग विधानसभा और सारी व्यवस्था को संभालने का मौका हासिल किया.
आइये जानते हैं कि किन राज्यों का भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में प्रमोशन हुआ है-
नगालैंड देश का वो पहला राज्य है जो केंद्र शासित प्रदेश (UT) से राज्य बना था. आजादी के समय नगालैंड भारत का हिस्सा बन गया, लेकिन ज्यादातर क्षेत्र असम से ही जुड़ा रहा. हालांकि इसके बाद नगा लोगों ने अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए वहां पर काफी विरोध-प्रदर्शन शुरू किया और उनकी मांग नगा संस्कृति को बचाए रखने की थी. बाद में केंद्र ने उनकी मांग को ध्यान में रखते हुए नगालैंड को असम से अलग कर दिया और 1957 में नगा हील्स तुएनसांग क्षेत्र को केंद्र के नियंत्रण में लाया गया. 6 साल बाद 1 दिसंबर, 1963 को केंद्र शासित प्रदेश से तरक्की देते हुए नगालैंड को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया. कोहिमा को इसकी राजधानी बनाया गया.

यह भी पढ़ें: अब चीन से रोना रोएगा पाकिस्‍तान, बीजिंग गए विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में हिमाचल प्रदेश उन राज्यों में शामिल है जो केंद्र शासित प्रदेश से तरक्की पाते हुए पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल करने का गौरव प्राप्त हुआ है. आजादी के बाद करीब 30 पहाड़ी रियासतों को मिलाकर 1950 में हिमाचल प्रदेश बनाया गया. 1956 में इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया. इसके करीब 15 साल बाद हिमाचल प्रदेश की तरक्की हुई और 1971 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया. खास बात यह रही कि पड़ोसी राज्य पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को भी हिमाचल में शामिल कर इसे पूर्ण पहाड़ी राज्य बना दिया गया.

पूर्वोत्तर भारत के 7 राज्यों में से एक त्रिपुरा देश का तीसरा सबसे कम क्षेत्रफल वाला राज्य है. इसकी सीमाएं तीन ओर से बांग्लादेश से, तो असम और मिजोरम राज्यों से भी मिलती है. आजादी के बाद 1949 में यह भारत में शामिल हो गया और इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया. हालांकि 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू होने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों में भारतीय सीमा को मजबूत करने के इरादे से 1972 में त्रिपुरा को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया था.

यह भी पढ़ें: पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने टि्वटर पर उगला जहर, कही ये बड़ी बात

1971 में भारत-पाकिस्तान के साथ युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत ने पूर्वोत्तर क्षेत्रों को सुदृढ़ और मजबूत बनाने के मकसद से वहां के केंद्र शासित प्रदेशों को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया. मणिपुर 1950 में भारत में शामिल हुआ और इसे सी ग्रेड स्टेट का दर्जा मिला था. त्रिपुरा के अलावा मणिपुर भी उन प्रदेशों में है जिसे 1972 में केंद्र शासित प्रदेश से राज्य के रूप में दर्जा दे दिया गया. मणिपुर 1956 में केंद्र शासित प्रदेश बना और 16 साल बाद यह राज्य बना तथा इंफाल को इसकी राजधानी घोषित किया गया.