UGC Draft Guidelines: बड़े एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में फैकल्टी पोजिशन की क्वालिफिकेशन के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं. UGC के नए ड्राफ्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक, कैंडिडेट्स अब अपने पसंदीदा सब्जेक्ट से UGC-NET का एग्जाम पास करके बड़े इंस्टीट्यूट्स में फैकल्टी पोजिशन के लिए क्वालिफाई कर सकते हैं. भले ही उन्होंने किसी दूसरे सब्जेक्ट्स से ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली हो. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को फैकल्टी अपॉइंटमेंट से जुड़ी गाइडलाइन जारी की थीं. सरकार ने इस दौरान यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर के सेलेक्शन प्रोसेस में भी कुछ बदलाव किए हैं. इसके साथ ही एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया यानी योग्यता की शर्तों में भी कुछ बदलाव हुए हैं.
अभी भी यूजी-पीजी के आधार पर होता है पीएचडी
अभी UGC की गाइडलाइन के मुताबिक, Ph.D. डिग्री के लिए सब्जेक्ट का सेलेक्शन ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में पढ़े गए विषयों के आधार पर होता है. हालांकि, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ड्राफ्ट रिफॉर्म्स और नई गाइडलाइन से एजुकेशन सेक्टर में एकेडमिक स्टाफ के लिए इनोवेशन, समावेशिता (Inclusivity) और लचीलापन आएगा. इससे एकेडमिक स्टैंडर्ड मजबूत होंगे. आगे जाकर इससे हमें एजुकेशनल एक्सीलेंसी (शैक्षिक उत्कृष्टता) को हासिल करने में मदद मिलेगी.
शिक्षा मंत्री ने बताया कि ड्राफ्ट रेगुलेशंस, 2025 को फीडबैक, सलाह और मशवरे के लिए पब्लिक डोमेन में डाला गया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि UGC बहुत जल्द ड्राफ्ट रेगुलेशंस 2025 को उसके फाइनल रूप में पब्लिश करेगा. इससे एजुकेशन सिस्टम में एक नए बदलाव की शुरुआत होगी. साथ ही क्वालिटी एजुकेशन और रिसर्च से विकसित भारत 2047 का रास्ता तैयार होगा.
और क्या-क्या है ड्राफ्ट में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की आखिरी बैठक 23 दिसंबर को हुई थी. इसमें ड्राफ्ट UGC (मिनिमम क्वॉलिफिकेशन फॉर अपॉइंटमेंट ऑफ टीचर्स एंड एकेडमिक स्टाफ इन यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेज एंड मेसर्स फॉर द मेंटेनेंस ऑफ स्टैंडर्ड इन हाइयर एजुकेशन) रेगुलेशंस को मंजूरी दी गई थी.
UGC के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, "कठोर सब्जेक्ट बाउंड्री को खत्म करने की दिशा में ये एक अहम लचीला कदम है. इससे फैकल्टी उम्मीदवार को ग्रेजुएशन-पोस्ट ग्रेजुएशन से परे जाकर अपनी पसंद का विषय चुनने में मदद मिलेगी. इससे यूनिवर्सिटी कैंपस में एक मल्टी-डिसिप्लिनरी इको सिस्टम तैयार होगा, जिसका आधार NEP 2020 में तैयार हुआ था.
UGC के ड्राफ्ट गाइडलाइन 2025 से एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडिकेटर (API) सिस्टम को खत्म करने में भी मदद मिलेगी, जिसे 2018 के रेगुलेशंस के जरिए लाया गया था. ये ड्राफ्ट कैंडिडेट के मूल्यांकन में क्वालिटेटिव अप्रोच को बढ़ावा देगा.
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