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World post day 2020: आज मनाया जा रहा है ' विश्व डाक दिवस', जानें इतिहास

डाक विभाग दशकों तक देश के अंदर ही नहीं, बल्कि एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन रहा है. लेकिन इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के बढ़ते दबदबे और फिर सूचना तकनीक के नए माध्यमों के प्रसार के कारण डाक विभाग की भ

Updated on: 09 Oct 2020, 12:32 PM

नई दिल्ली:

World Post Day 2020 : डाक विभाग दशकों तक देश के अंदर ही नहीं, बल्कि एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन रहा है. लेकिन इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के बढ़ते दबदबे और फिर सूचना तकनीक के नए माध्यमों के प्रसार के कारण डाक विभाग की भूमिका लगातार कम होती गई है. वैसे, इसकी प्रासंगिकता पूरी दुनिया में आज भी बरकरार है.

वर्तमान में डाक विभाग का एकाधिकार लगभग खत्म हो गया है. यही कारण है कि डाक विभाग दुनियाभर में अब कई नई तकनीकी सेवाओं से जुड़ रहा है. दुनियाभर में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. वर्ष 1874 में इसी दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन करने के लिए स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

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वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में आयोजित सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के रूप में इसी दिन को चयन किए जाने की घोषणा की गई. एक जुलाई 1876 को भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला भारत पहला एशियाई देश था. जनसंख्या और अंतर्राष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा. संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के बाद 1947 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी बन गई.

विश्व डाक दिवस का मकसद आम आदमी और कारोबारियों के रोजमर्रा के जीवन समेत देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में डाक क्षेत्र के योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है. दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष 150 से ज्यादा देशों में विविध तरीकों से विश्व डाक दिवस आयोजित किया जाता है. डाक सेवाओं के बदलते माहौल और उभर रही नई कारोबारी चुनौतियों ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है. विशेष रणनीति और कार्यक्रमों के माध्यम से ही इसका समाधान किया जा सकता है.

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विश्व डाक दिवस का मकसद आम आदमी और कारोबारियों के रोजमर्रा के जीवन समेत देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में डाक क्षेत्र के योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है. दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष 150 से ज्यादा देशों में विविध तरीकों से विश्व डाक दिवस आयोजित किया जाता है. डाक सेवाओं के बदलते माहौल और उभर रही नई कारोबारी चुनौतियों ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है. विशेष रणनीति और कार्यक्रमों के माध्यम से ही इसका समाधान किया जा सकता है.

बदलते हुए तकनीकी दौर में दुनियाभर की डाक व्यवस्थाओं ने मौजूदा सेवाओं में सुधार करते हुए खुद को नई तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा है और डाक, पार्सल, पत्रों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस सेवाएं शुरू की हैं.

डाकघरों द्वारा मुहैया कराई जानेवाली वित्तीय सेवाओं को भी आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है. नई तकनीक आधारित सेवाओं की शुरुआत तकरीबन 20 वर्ष पहले की गई और उसके बाद से इन सेवाओं का और तकनीकी विकास किया गया. साथ ही इस दौरान ऑनलाइन पोस्टल लेन-देन पर भी लोगों का भरोसा बढ़ा है. 

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दुनियाभर में पोस्ट ऑफिस से संबंधित इन आंकड़ों से हम इसे और अधिक स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं. डाक विभाग से 82 फीसदी वैश्विक आबादी को होम डिलीवरी का फायदा मिलता है. एक डाक कर्मचारी 1,258 औसत आबादी को सेवा मुहैया कराता है. इस समय दुनियाभर में 55 प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध है. डाक ने 77 फीसदी ऑनलाइन सेवाएं दे रखी हैं. 133 पोस्ट वित्तीय सेवाएं मुहैया कराती है. पांच दिन के मानक समय के अंदर 83.62 फीसदी अंतरराष्ट्रीय डाक सामग्री बांटी जाती है.

142 देशों में पोस्टल कोड उपलब्ध है. डाक के इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन और निगरानी के लिए 160 देशों की डाक सेवाएं यूपीयू की अंतरराष्ट्रीय पोस्टल सिस्टम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं. इस तरह 141 देशों ने अपनी यूनिवर्सल पोस्टल सेवा को परिभाषित किया है.

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भारतीय डाक विभाग पिनकोड नंबर (पोस्टल इंडेक्स नंबर) के आधार पर देश में डाक वितरण का कार्य करता है. पिनकोड नंबर का प्रारंभ 15 अगस्त, 1972 को किया गया था. इसके अंतर्गत डाक विभाग द्वारा देश को नो भोगोलिक क्षेत्रो में बांटा गया है. संख्या 1 से 8 तक भौगोलिक क्षेत्र हैं व संख्या 9 सेना डाकसेवा को आवंटित किया गया है. पिन कोड की पहली संख्या क्षेत्र दूसरा संख्या उपक्षेत्र, तीसरी संख्या जिले को दर्शाती है. अंतिम तीन संख्या उस जिले के विशिष्ट डाकघर को दर्शाती है.

 

(IANS इनुपट के साथ)