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UPSC: पिता करते हैं मजदूरी, बेटे ने बिना कोचिंग के पास की यूपीएससी परीक्षा

UPSC CSE 2024 Result: यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले एक मजदूर के बेटे पवन कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर ली. अब उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.

UPSC CSE 2024 Result: यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले एक मजदूर के बेटे पवन कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर ली. अब उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.

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Suhel Khan
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Pawan Kumar

Pawan Kumar( Photo Credit : ANI)

UPSC CSE 2024 Result: कहते हैं कि कड़ी मेहनत और लगन से मुश्किल से मुश्किल में काम में सफलता पाई जा सकती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रहने वाले एक मजदूर के बेटे ने. पिता मजदूर हैं तो बेटे ने बिना कोचिंग के देश की सबसे प्रतिष्ठि संघ लोक सेवा आयोग की आईएएस की परीक्षा में सफलता हासिल कर दी, बेटे की सफलता पर पूरा परिवार खुश है. गांव वालों का उनके घर पर आकर बधाई देने का सिलसिला जारी है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं पवन कुमार की. जिन्होंने 16 अप्रैल को जारी हुई संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 2023 में 239 रैंक हासिल की है.

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उनकी कामयाबी में सबसे अहम बात ये है कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के देश की इस सबसे मुश्किल परीक्षा को पास कर लिया. पैसों के अभाव में वह दिल्ली जैसे शहर में महंगी कोचिंग नहीं ले सकते थे लेकिन पवन कुमार ने इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की और इसमें सफलता भी हासिल की. 

बता दें कि यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा भारत में सबसे चुनौतीपूर्ण प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक है, जिसमें लगभग एक वर्ष की कठोर प्रक्रिया होती है और व्यापक तैयारी की आवश्यकता होती है. परीक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा और भारतीय पुलिस सेवा सहित भारत सरकार की उच्च सिविल सेवाओं के लिए उम्मीदवारों की भर्ती करती है. पवन कुमार कहते हैं कि उन्होंने ज्यादातर सेल्फ स्टडी की क्योंकि उनके परिवार की स्थिति ऐसी थी कि वह महंगी कोचिंग क्लासेज का खर्च वहन नहीं कर सकते थे.

पवन कुमार कहते हैं कि, "यह मेरा तीसरा प्रयास था. मेरी यात्रा में मेरे परिवार की बहुत बड़ी भूमिका थी, विशेषकर मेरे माता-पिता और मेरी बहनों की. परीक्षा कठिन है, और पाठ्यक्रम बहुत विशाल है, लेकिन इसे पास करना असंभव नहीं है. कोचिंग ले रहा हूम यह आवश्यक नहीं है. मेरे परिवार की स्थिति ऐसी थी कि मैं इतनी महंगी कोचिंग कक्षाएं नहीं ले सकता था. मैं ज्यादातर मदद के लिए इंटरनेट का उपयोग कर सकता था और अपने प्रयासों को ईमानदारी से जारी रख सकता था."

बता दें कि पवन कुमार का छोटा सा मिट्टी का घर, जहां फूस की गौशाला के नीचे आधा दर्जन मवेशी बंधे हैं. लेकिन अब यहा बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. पवन कुमार की उत्साहित मां सुमन देवी, जो अपने बेटे की सफलता के दिन का इंतजार कर रही थीं, उनके दिल और आवाज में गर्व है. पवन कुमार की मां सुमन देवी ने कहा कि, "मुझे अच्छा लग रहा है कि हमें यह दिन देखने को मिला. हमारे पास एक छप्पर की छत थी जो बारिश होने पर टपकती थी. इससे हमें बहुत परेशानी हुई. हमारे पास गैस सिलेंडर खरीदने में सक्षम होने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए हम अभी भी चूल्हे का उपयोग करते हैं. मैंने एक मजदूर के रूप में कड़ी मेहनत की, वह अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके घर पर चुपचाप पढ़ाई करता था,"

वहीं पवन के पिता मुकेश कुमार कहते हैं कि उन्होंने भोजन और दैनिक जरूरतों के बारे में चिंता करते हुए कई रातें बिताईं, अपने बेटे के प्रदर्शन और उनकी यात्रा से अभिभूत हो गए, चाहे उनकी परिस्थितियां कुछ भी रही हों. मुकेश कुमार कहते हैं कि, "उनकी कड़ी मेहनत और उनके लिए हमारा समर्थन, हमारी परिस्थितियों के बावजूद, उन्हें इस मुकाम तक लाया है. हमने उनकी और हमारी बेटियों की शिक्षा का खर्च उठाने में सक्षम होने के लिए सभी प्रकार के छोटे-मोटे काम किए. हमने बहुत कठिनाई से पैसे बचाए. हम अपने घर का नवीनीकरण नहीं कर सके क्योंकि हम अपने बच्चों को पढ़ाते थे. बारिश के दौरान हमारी छत टपकती थी और हम सभी एक ही जगह बैठकर रात बिताते थे, लेकिन वह पढ़ाई पर अड़ा था. भगवान ने अब हमें आशीर्वाद दिया है."

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