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JNU के बाद अब IIMC में छात्रों ने फीस वृद्धि के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन

बताया जा रहा है कि छात्रों ने दूसरे साल के लिए जारी किया गया फीस का सर्कुलर जला दिया जिसमें लिखा था कि कि रेडियो और टेलीविजन जर्नलिज्म के छात्रों को 80,000 रुपये और टोटल फीस 1,68,000 रुपये देनी होगी.

Updated on: 05 Dec 2019, 03:25 PM

highlights

  • जवाहर लाल नेहरू कॉलेज से प्रेरणा लेते हुए अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्यूनिकेशन के दर्जनों छात्रों ने भी अपनी फीस स्ट्रक्चर का विरोध किया है.
  •  इसी के साथ छात्रों ने ये भी धमकी दी कि अगर उनकी मांगों को नहीं पूरा किया गया तो वो दूसरे सेमेस्टर की फीस भी नहीं जमा करेंगे. 
  • रेडियो और टेलिविजन जर्नलिज्म के एक छात्र ने बताया कि हम केवल किफायती फीस स्ट्रक्चर और सभी को हॉस्टल सुविधा की मांग कर रहे हैं.

नई दिल्ली:

जवाहर लाल नेहरू कॉलेज (JNU) से प्रेरणा लेते हुए अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्यूनिकेशन (IIMC) के दर्जनों छात्रों ने भी अपनी फीस स्ट्रक्चर (Fee Structure) का विरोध किया है. इसी के साथ छात्रों ने ये भी धमकी दी कि अगर उनकी मांगों को नहीं पूरा किया गया तो वो दूसरे सेमेस्टर की फीस भी नहीं जमा करेंगे. रेडियो और टेलिविजन जर्नलिज्म के एक छात्र ने बताया कि हम केवल किफायती फीस स्ट्रक्चर और सभी को हॉस्टल सुविधा की मांग कर रहे हैं.

बता दें कि रेडियो और टेलिविजन जर्नलिज्म की फीस संस्थान में सबसे ज्यादा है. छात्र के अनुसार, केवल 42 छात्र ही हॉस्टल सुविधा का लाभ ले सकते हैं जबकि अन्य छात्रों को कैंपस से बाहर रहना पड़ता है जो कि काफी खर्चीला होता है.

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बताया जा रहा है कि छात्रो ने दूसरे साल के लिए जारी किया गया फीस का सर्कुलर जला दिया जिसमें लिखा था कि कि रेडियो और टेलिविजन जर्नलिज्म के छात्रों को 80,000 रुपये और टोटल फीस 1,68,000 रुपये देनी होगी. जबकि इसके पहले साल यानी की 18-19 के बैच की फीस 1,45,000 थी जबकि इसके पहले यानी 17-18 के बैच की फीस 1,32,000 रुपये थी. छात्र के मुताबिक इसी तरह फीस में वृद्धि बाकी सभी स्ट्रीम में भी की गई है.
बताया जा रहा है कि कॉलेज प्रशासन ने छात्रों की बात सुनी है और इस संबंध में उचित कार्रवाई की बात कह रही है. डीजी ने छात्रों से दो बार मुलाकात की और आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा। हमने वास्तविक मांगों को देखने के लिए पाठ्यक्रम निदेशकों की एक समिति भी गठित की है.

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इसके अलावा, हमारे पास कौशल-उन्मुख पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम हैं जो कॉलेजिएट प्रणाली के तहत पेश किए गए 'सेल्फ-फाइनेंस पाठ्यक्रमों' के समान हैं, जहां पाठ्यक्रम शुल्क नियमित पाठ्यक्रमों की तुलना में सामान्य रूप से बहुत अधिक है।

जब एक लड़की और एक लड़के के बीच शिक्षा पर इतनी बड़ी राशि खर्च करने की बात आती है, तो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार हमेशा इसे एक लड़के पर खर्च करना पसंद करेगा। अगर हिंदी पत्रकारिता के छात्र आकाश पांडे ने कहा कि अगर फीस कम की जाती है, तो गरीब घरों की लड़कियां भी यहां पढ़ सकती हैं.