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Sanvidhan Divas: आखिर कैसे बने बाबा साहेब अंबेडकर संविधान निर्माता, क्या था उनका अहम योगदान

भारत के लिए 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक रहा है क्योंकि आज के ही दिन संविधान को अपनाया गया था. 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया गया था और बाद में 26 जनवरी 1950 को इसे पूरे देश में लागू किया गया था.

Updated on: 04 Dec 2019, 06:48 AM

नई दिल्ली:

भारत के लिए 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक रहा है क्योंकि आज के ही दिन संविधान को अपनाया गया था. 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया गया था और बाद में 26 जनवरी 1950 को इसे पूरे देश में लागू किया गया था. इस तरह आज भारतीय संविधान दिवस के पूरे 70 साल हो गए हैं. बता दें कि   संविधान सभा की 2 साल 11 महीने और 17 दिनों की कड़ी मेहनत और हजारों संशोधन से बनकर तैयार हुए भारतीय संविधान पर साल 1949 में 26 नवंबर के दिन ही सहमति बनी थी.

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संविधान लागू होने के बाद समाज को निष्पक्ष न्याय प्रणाली मिली. नागरिकों को मौलिक अधिकारों की आजादी मिली और कर्तव्यों की जिम्मेदारी भी. डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता और शिल्पकार माना जाता है. उन्हें 29 अगस्त 1947 को संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था.

उनका मानना ​​था कि विभिन्न वर्गों के बीच अंतर को बराबर करना महत्वपूर्ण था, अन्यथा देश की एकता को बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा. उन्होंने धार्मिक, लिंग और जाति समानता पर जोर दिया था.

अंबेडकर ने वर्गों के बीच सामाजिक संतुलन बनाने के लिए आरक्षण प्रणाली की शुरुआत की थी. 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूची, 5 परिशिष्ट और 98 संसोधनों के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है. 

ऐसे हुआ संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष रुप में बाबा साहेब का चुनाव 

भारत के संविधान के निर्माण के लिए बाबा साहेब अंबेडकर का विधान सभा द्वारा ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में चयन उनकी राजनीतिक योग्यता और कानूनी दक्षता के चलते हुए था. संविधान को लिखने, विभिन्न अनुच्छेदों-प्रावधानों के संदर्भ में संविधान सभा में उठने वाले सवालों का जवाब देने, विभिन्न विपरीत और कभी-कभी उलट से दिखते प्रावधानों के बीच संतुलन कायम करने और संविधान को भारतीय समाज के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने में डॉ. अंबेडकर की सबसे प्रभावी और निर्णायक भूमिका थी.

बाबा साहेब का संविधान में अहम योगदान

1. बाबा साहेब देश के आजाद होने के बाद पहले कानून मंत्री भी बने और उन्होंने बतौर कानून मंत्री कई महत्पूर्ण कार्य भी किए थे. भारत के संविधान के निर्माण कि जिम्मेदारी अंबेडकर को दी गई थी. जहां उन्होंने हर जाति विशेष ,वर्ग को देखते हुए संविधान का निर्माण किया गया. 

2. 26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप कर देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पध्दति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत किया.

3. भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने और 18 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार किया गया. भारत के संविधान के निर्माण में डॉ भीमराव अंबेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए उन्हें 'संविधान का निर्माता' कहा जाता है। संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था

4. बाद में 1951 में संसद में अपने 'हिन्दू कोड बिल' मसौदे को रोके जाने के बाद अंबेडकर ने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया. इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी.

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5. बता दें कि बाबा साहेब ने अपना पूरा जीवन दलितों गरीबों और समाज के शोषित तबके के लोगों के अधिकार के लिए लड़ते हुए बिताया. बाबा साहेब पूरे जीवन सामाजिक बुराइयों और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष करते रहे. बताया जाता है कि बाबा साहेब को नौ भाषाओं का ज्ञान था. इन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से कुल 32 डिग्रियां मिली थीं. साल 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था.

6. बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न ,कोलम्बिया युनिवर्सिटी की और से 'द ग्रेटेस्ट मैं द वर्ल्ड' कहा गया. वहीं ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से 'द यूनिवर्स मेकर' कहा गया है.