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पीएम मोदी ने नई शिक्षा नीति पर दूर किए सभी कंफ्यूजन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर शुक्रवार को आयोजित इस वर्चुअल सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी के चेयरमैन डॉ. के कस्तूरीरंगन, विश्वविद्यालयों के कुलपति,

Updated on: 07 Aug 2020, 03:10 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जड़ से जग तक, मनुज से मानवता तक, अतीत से आधुनिकता तक, जैसे सभी बिंदुओं पर फोकस करने वाला बताया है. उन्होने कहा, "अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें व्हाट टू थिंक पर फोकस रहा है, जबकि शिक्षा नीति में हाउ टू थिंक पर बल दिया जा रहा है." राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर शुक्रवार को आयोजित इस वर्चुअल सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी के चेयरमैन डॉ. के कस्तूरीरंगन, विश्वविद्यालयों के कुलपति, संस्थानों के निदेशक और कॉलेजों के प्राचार्यों ने हिस्सा लिया.

इस दौरान पीएम मोदी ने नई शिक्षा नीति को लेकर माता-पिता से लेकर शिक्षकों तक के मन में उठ रहे सवालों के जवाब दिए. पीएम ने कहा, 'हमारे एजुकेशन सिस्टम में लंबे समय से बड़े बदलाव नहीं हुए थे. परिणाम यह हुआ कि हमारे समाज में उत्सुकता और कल्पना के मूल्यों को बढ़ावा देने के बजाय भेड़चाल को ही प्रोत्साहन मिलने लगा. कभी डॉक्टर, कभी वकील, कभी इंजिनियर बनाने की होड़ लगी. दिलचस्पी, क्षमता और मांग की मैपिंग के बिना इस होड़ से छात्रों को बाहर निकालना जरूरी था.'

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मोदी ने कहा, 'आज मुझे संतोष है कि भारत की नैशनल एजुकेशन पॉलिसी को बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया. बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है. एक नया ग्लोबल स्टैंडर्ड भी तय हो रहा है.' उन्होंने कहा कि इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था. मोदी ने कहा, 'स्कूली पाठ्यक्रम के 10+2 स्ट्रक्चर से आगे बढ़कर अब 5+3+3+4 पाठ्यक्रम का स्ट्रक्चर देना, इसी दिशा में एक कदम है.'

पीएम मोदी ने कहा, 'इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है. यह एक बहुत बड़ी वजह है, जिसकी वजह से जहां तक संभव हो पांचवीं क्लास तक बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने पर सहमति दी गई है. इससे बच्चों की नींव तो मजबूत होगी है, उनके आगे की पढ़ाई के लिए भी उनका बेस और मजबूत होगा.'

उन्होंने कहा कि हर विद्यार्थी को ये अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने पैशन को फॉलो करे. वो अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को फॉलो कर सके और अगर उसका मन करे तो वो छोड़ भी सके. उच्च शिक्षा को स्ट्रीम्स से मुक्त करने, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट, क्रेडिट बैंक के पीछे यही सोच है. हम उस एरा की तरफ बढ़ रहे हैं जहां कोई व्यक्ति जीवन भर किसी एक प्रोफेशन में ही नहीं टिका रहेगा. इसके लिए उसे निरंतर खुद को री स्किल और अप स्किल करते रहना होगा.

मोदी ने कहा कि जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, उनके श्रम का सम्मान करना सीख पाएंगे. इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्टूडेंट एजूकेशन और श्रम के सम्मान पर बहुत काम किया गया है.

पीएम ने शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी के भारत से पूरी दुनिया को बहुत अपेक्षाएं हैं. भारत का सामथ्र्य है कि कि वो टैलेंट और टेक्नॉलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है, इस जिम्मेदारी का भी हमारी एजूकेशन पॉलिसी में समावेश है.

प्रधानमंत्री मोदी ने नई शिक्षा नीति की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्चुअल लैब जैसे कॉन्सेप्ट ऐसे लाखों साथियों तक बेहतर शिक्षा के सपने को ले जाने वाला है, जो पहले ऐसे विषय पढ़ ही नहीं पाते थे जिसमें लैब एक्सपेरिेमेंट जरूरी हों. जब इंस्टीट्यूशंस और इंफ्रास्ट्रक्च र्स में भी ये सुधार दिखेंगे, तभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अधिक प्रभावी और त्वरित गति से लागू किया जा सकेगा.