International Women's Day : महिला दिवस पर जानें रमाबाई रानाडे का महिलाओं के लिए क्या योगदान रहा

Ramabai Ranade : रमाबाई रानाडे का जन्म 1862 में महाराष्ट्र के एक मराठी परिवार में हुआ था. उस समय बाल विवाह प्रथा आम थी और महज 11 साल की उम्र में उनका विवाह प्रसिद्ध न्यायविद और समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे से हो गया.

Ramabai Ranade : रमाबाई रानाडे का जन्म 1862 में महाराष्ट्र के एक मराठी परिवार में हुआ था. उस समय बाल विवाह प्रथा आम थी और महज 11 साल की उम्र में उनका विवाह प्रसिद्ध न्यायविद और समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे से हो गया.

author-image
Roshni Singh
New Update
ramabai ranade

Ramabai Ranade( Photo Credit : Social Media)

Ramabai Ranade : रमाबाई रानाडे एक समाज सुधारक, शिक्षिका और महिला अधिकारिणी थीं. उन्होंने महिला और दलितों के अधिकारों की लड़ाई में अपना समर्थन दिया. रमाबाई रानाडे ने महिला शिक्षा को प्रोत्साहित किया और महिलाओं के उत्थान के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने महिलाओं को जागरूक करने और स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए शिक्षा का महत्व बताया. रमाबाई ने महिलाओं के लिए शिक्षा के अधिकार की लड़ाई में अपना समर्थन दिया और उन्हें समाज में सम्मानित बनाने के लिए काम किया. उनकी साहसिकता, संघर्ष और समर्थन की भावना आज भी हमें प्रेरित करती हैं. रमाबाई रानाडे (1862-1924) भारत की एक प्रमुख समाज सुधारक के साथ-साथ महिला अधिकार कार्यकर्ता भी थीं. उन्हें 19वीं शताब्दी में महिला शिक्षा और समाजिक सुधारों के लिए उनके अथक प्रयासों के लिए जाना जाता है.

Advertisment

रमाबाई रानाडे के जीवन और कार्य के बारे में महत्वपूर्ण बातें:

प्रारंभिक जीवन और विवाह: उनका जन्म 1862 में महाराष्ट्र के एक मराठी परिवार में हुआ था. उस समय बाल विवाह प्रथा आम थी और महज 11 साल की उम्र में उनका विवाह प्रसिद्ध न्यायविद और समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे से हो गया.

शिक्षा और जागरूकता: शादी के बाद, उन्हें अपने पति से प्रोत्साहन मिला और उन्होंने शिक्षा प्राप्त की. वे महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक सुधारों के बारे में जागरूक हुईं.

महिला शिक्षा का समर्थन: उन्होंने दृढ़ता से माना कि महिलाओं को शिक्षित होना चाहिए और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया जाना चाहिए. उन्होंने स्कूल खोले और महिलाओं को शिक्षा प्रदान करने के लिए काम किया.

सामाजिक सुधारों में योगदान: उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा और विधवा पुनर्विवाह जैसे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने महिलाओं के लिए समान अधिकारों की वकालत की और उन्हें सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम किया.

लेखन और सामाजिक कार्य: उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक सुधारों पर लेख लिखे और भाषण दिए. उन्होंने "हिंदू लेडीज सोशल एंड लिटररी क्लब" की स्थापना की, जो महिलाओं को कौशल और शिक्षा प्रदान करने के लिए काम करता था.

रमाबाई रानाडे भारत में महिला अधिकार आंदोलन की अग्रणी हस्तियों में से एक थीं. उन्होंने शिक्षा और सामाजिक सुधार के माध्यम से महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किए. उनका कार्य आज भी प्रासंगिक है और भारत में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है.

Source : News Nation Bureau

Women activists of ramabai ranade women activists Social Reformer women empowerment Women Education international womens day gender equality ramabai ranade
      
Advertisment