logo-image

Birth Anniversary: चौधरी चरण सिंह जिन्होंने जमींदार प्रथा को खत्म करने से लेकर किसानों के हित में किए अनेक काम

आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती है. उनकी जयंती के दिन 'किसान दिवस'या 'राष्ट्रीय किसान दिवस' भी मनाई जाती है. चौधरी चरण सिंह एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ और किसान थे.

Updated on: 23 Dec 2020, 12:48 PM

नई दिल्ली:

आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती है. उनकी जयंती के दिन 'किसान दिवस'या 'राष्ट्रीय किसान दिवस' भी मनाई जाती है. चौधरी चरण सिंह एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ और किसान थे. उनका जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के गांव नूरपुर (हापुड़) में हुआ था. उन्होंने अपना पूरा जीवन गांव के लोगों, किसानों और दलितों की सेवा करते हुए गुजारी थी. उनका संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश में बीता. चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री थे. 

और पढ़ें: National Mathematics Day: आज है महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्मदिन, यहां पढ़ें उनका पूरा सफरनामा

चौधरी चरण सिंह का जीवनकाल-

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक सफर स्वाधीनता के समय शुरू हुआ था. कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया. गांधी के 'डांडी मार्च' से प्रेरित होतका उन्होंने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया. नतीजन, उन्हें 6 महीने की जेल की सजा भुगतनी पड़ी. जेल से निकलने के बाद चौधरी चरण सिंह ने पूरी तरह स्वंतत्रता संग्राम की लड़ाई में खुद को समर्पित कर दिया. 

9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवक चरण सिंह ने भूमिगत होकर गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मवाना, सरथना, बुलन्दशहर के गांवों में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया. मेरठ कमिश्नरी में युवक चरण सिंह ने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रितानिया हुकूमत को बार-बार चुनौती दी. परिणामस्वारूप मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया. इसके बाद पुलिस ने एक दिन चरण सिंह को गिरफ्तार कर ही लिया. राजबन्दी के रूप में डेढ़ वर्ष की सजा हुई. जेल में ही चौधरी चरण सिंह की लिखित किताब 'शिष्टाचार' भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज है.

चौधरी चरण सिंह किसान नेता के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने जमींदारी उन्मूलन विधेयक तैयार किया था, जो कि राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था.  चौधर चरण सिंह के प्रयास की वजह से ही 1 जुलाई 1952 में यूपी में जमींदारी प्रथा खत्म हुआ और गरीबों को उनका अधिकार मिला. इसके बाद उन्होंने किसानों के हित के लिए साल 1954 में  उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित करवाया. 

3 अप्रैल 1967 को चौधरी चरण सिंह ने यूपी के मुख्यमंत्री का पद संभाला. हालांकि 17 अप्रैल 1968 को ही उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद जो चुनाव हुए उसमें उन्हें सफलता मिली और फिर से 17 फरवरी 1970 को सीएम बने.  इसके बाद चौधरी चरण सिंह ने केंद्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की. 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक] की स्थापना की. इसके बाद 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों और  कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने.