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Birthday Special: अंतरिक्ष की वो परी जिसने अपनी कल्पना को पंख देकर भारत को किया गौरवान्वित

कुछ लोग मरने के बाद भी युगों तक याद किए जाते हैं. अमेरिका के नासा की अंतरिक्ष वैज्ञानिक रहीं कल्पना चावला का नाम भी ऐसे ही लोगों में शुमार है.

Updated on: 17 Mar 2019, 07:40 AM

नई दिल्‍ली:

कुछ लोग मरने के बाद भी युगों तक याद किए जाते हैं. अमेरिका के नासा की अंतरिक्ष वैज्ञानिक रहीं कल्पना चावला का नाम भी ऐसे ही लोगों में शुमार है. हरियाणा के करनाल कस्बे में पली-बढ़ीं कल्पना चावला अंतरिक्ष में कदम रखने वाली पहली भारतीय महिला थीं. 17 मार्च 1962 को पैदा हुईं थीं. अंतरिक्ष की वो परी जिसने अपनी कल्पना को पंख देकर पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित किया और खुद एक सितारा बन कर आसमां में स्थापित हो गई. ऐसी भारत की बेटी के जन्मदिवस की पूरी दुनिया को बहुत बहुत शुभकामनाएं.

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कल्पना चावला का जन्म करनाल पंजाब में 17 मार्च 1962 को हुआ था. कल्पना चावला अपने परिवार में 4 भाई बहनों में से सबसे छोटी थी. कल्पना के पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती देवी था. उनके पिता उन्‍हें डॉक्टर या अध्यापक बनाना चाहते थे, लेकिन कल्पना शुरू से ही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी. Kalpana Chawla बचपन में हमेशा आकाश और उनकी ऊंचाइयों ले बारे में सोचती रहती थीं और अपने पापा से चाँद-तारों और विमानों के बारे में बातें किया करती थीं.

प्रारंभिक शिक्षा

कल्पना चावला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल करनाल से की थी . कल्पना चावला ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ में ‘एरोनौटिकल इंजीनियरिंग’ पढ़ने के लिए BE में दाखिला लिया और सन 1982 में ‘एरोनौटिकल इंजीनियरिंग’ की डिग्री भी हासिल कर ली. इसके बाद वह कल्पना अमेरिका चली गयीं . 1982 में ‘टेक्सास विश्वविद्यालय’ में ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में स्नातकोत्तर करने के लिए दाखिला लिया. उन्होंने इस कोर्स को सन 1984 में सफलता पूर्वक पूरा किया. उनके अन्तरिक्ष यात्री बनने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि उन्होंने सन 1986 में ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में दूसरा स्नातकोत्तर भी किया और उसके बाद कोलराडो विश्वविद्यालय से सन 1988 में ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ विषय में पी.एच.डी. भी पूरा किया.

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कल्पना अमरीकी अंतरिक्ष संस्था नासा से 1988 में जुड़ीं. तब उन्होंने फ़्लुइड डायनमिक्स के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अनुसंधान किया. इसके पाँच साल बाद वह कैलीफ़ोर्निया की कंपनी ओवरसेट मेथड्स में उपप्रमुख नियुक्त की गईं. वहाँ भी उन्होंने एयरोडायनमिक्स के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण अनुसंधान किए. उनके अनुसंधान पेपर अनेक नामी जर्नल में छपे. नासा ने 1994 में उन्हें संभावित अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में चुना. कल्पना ने मार्च 1995 में जॉन्सन अंतरिक्ष केंद्र में दाखिला लिया. उन्हें अंतरिक्ष यात्रियों के पंद्रहवें दल में शामिल किया गया. साल भर के प्रशिक्षण के बाद उन्हें अंतरिक्ष यानों की नियंत्रण व्यवस्था की जाँच के काम में लगाया गया.

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नवंबर 1996 में घोषणा की गई कि उनके एसटीएस-87 मिशन में विशेषज्ञ की हैसियत से भाग लेने की घोषणा की गई और साल भर बाद 19 नवंबर 1997 को वह दिन आया जब करनाल की बेटी कल्पना चावला ने अंतरिक्ष के गहन अंधेरे में भारत का नाम रोशन किया. उन्होंने 376 घंटे 34 मिनट अंतरिक्ष में बिताए. कई महत्वपूर्ण प्रयोगों को अंजाम देते हुए कल्पना ने तब धरती के 252 चक्कर लगाए यानि 65 लाख मील की दूरी तय की.

Kalpana Chawla का पहला अंतरिक्ष मिशन

अप्रैल 1991 में वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक बनीं. कल्पना को मार्च 1995 में नासा के अन्तरिक्ष यात्री कोर में शामिल किया गया और उन्हें 1996 में अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था. उनका पहला अन्तरिक्ष मिशन 19 नवम्बर 1997 को छह-अन्तरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अन्तरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-87 से शुरू हुआ. कल्पना अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थीं . राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत (Soyuz T-11) अन्तरिक्ष यान में उड़ान भरी थी.

Kalpana Chawla का दूसरा अंतरिक्ष मिशन

2002 में कल्पना को उनके दूसरे अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया. उन्हें कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-107 उड़ान के दल में शामिल किया गया. कुछ तकनीकी और अन्य कारणों से यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा और अंततः 16 जनवरी 2003 को कल्पना ने कोलंबिया पर चढ़ कर एसटीएस-107 मिशन का आरंभ किया. यह 16 दिन का मिशन था. इस मिशन पर Kalpana Chawla ने अपनी टीम के सभी साथियों के साथ मिलकर 80 परीक्षण प्रयोग किए. लेकिन फिर वह हुआ जिसे सोचकर सबकी आँखें भर आती है.

हाथों में फूल और गुलदस्ते लिए स्वागत के लिए खड़े विज्ञानिक और अंतरिक्ष प्रेमी सहित पूरा विश्व उस दुर्घटना को देखकर शौक में डूब गया. अंतरिक्ष को धरती पर उतरने में महज 16 मिनट रह गए थे, तभी अचानक सटल ब्लास्ट हो गया और कल्पना चावला के साथ सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए.

कल्पना चावला मृत्यु – Kalpana Chawla Death

1 फ़रवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया. देखते ही देखते अन्तरिक्ष यान और उसमे सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास पर बरसने लगे और सफल कहलाया जाने वाला अभियान भीषण हादसे में बदल गया.

पहले ही तय थी कल्पना चावला की मौत

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरते ही पता चल गया था कि ये सुरक्षित जमीन पर नहीं उतरेगा, तय हो गया था कि सातों अंतरिक्ष यात्री मौत के मुंह में ही समाएंगे. फिर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई. बात हैरान करने वाली है, लेकिन यही सच है.

इसका खुलासा मिशन कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर ने किया था. यात्रा के हर पल मौते के साये में स्पेस वॉक करती रहीं कल्पना चावला और उनके 6 साथी. उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई कि वो सुरक्षित धरती पर नहीं आ सकते. वो जी जान से अपने मिशन में लगे रहे, वो पल-पल की जानकारी नासा को भेजते रहे लेकिन बदले में नासा ने उन्हें पता तक नहीं लगने दिया कि वो धरती को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़कर जा चुके हैं, उनके शरीर के टुकड़ों को ही लौटना बाकी है. कल्पना चावला भले ही हमारे बीच नहीं है पर आज के भी लड़कियों की आदर्श हैं.