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भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक शैक्षणिक इको-सिस्टम : निशंक

यहां पर 34 करोड़ बच्चे पढ़ रहे हैं जो कई देशों की पूरी आबादी से भी अधिक है. यहां 1.1 लाख शिक्षक कार्यरत हैं. भारत में 10.5 लाख स्कूल, 42,000 कॉलेज और 1,043 विश्वविद्यालय (Universities) हैं.

Updated on: 30 Mar 2021, 10:04 AM

highlights

  • 34 करोड़ बच्चे पढ़ रहे हैं जो कई देशों की पूरी आबादी से अधिक
  • देश में 10.5 लाख स्कूल, 42,000 कॉलेज और 1,043 विश्वविद्यालय
  • हर साल 10.5 लाख छात्र अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करते

नई दिल्ली:

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' (Ramesh Pokhriyal Nishank) ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक शैक्षणिक इको-सिस्टम है. यहां पर 34 करोड़ बच्चे पढ़ रहे हैं जो कई देशों की पूरी आबादी से भी अधिक है. यहां 1.1 लाख शिक्षक कार्यरत हैं. भारत में 10.5 लाख स्कूल, 42,000 कॉलेज और 1,043 विश्वविद्यालय (Universities) हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे स्कूलों से हर साल 10.5 लाख छात्र अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करते हैं. वार्षिक तौर पर भारत में 80.2 लाख स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियां और लगभग 39,000 पीएचडी प्रदान की जाती है.' केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने यूनेस्को (Unesco) के उच्च एवं मंत्रिस्तरीय आयोजन में यूनेस्को और उसके प्रतिनिधियों को भारत की नई शिक्षा नीति के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी.

हर बच्चे तक शिक्षा का लक्ष्य
निशंक ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, यूनेस्को के सदस्य देशों के शिक्षा मंत्रियों के बीच वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं किसी भी विद्यार्थी को पीछे नहीं छोड़ने की रणनीति पर भारत द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा, 'भारत में शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र के उल्लेखनीय आकार के बावजूद, हमने सफलतापूर्वक यह सुनिश्चित किया है कि महामारी के समय में भी देश के सुदूर हिस्सों में रहने वाले हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त होती रहे. हमने डिजिटल, टेलीविजन, रेडियो का इस्तेमाल किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे.'

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पीएम ई-विद्या समेत गिनाई अन्य योजनाएं
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई पीएम ई-विद्या योजना के बारे में भी विस्तार से बताया. इसके अलावा अन्य योजनाओं, जैसे- दीक्षा प्लेटफॉर्म के तहत एक राष्ट्र एक डिजिटल प्लेटफॉर्म, स्वयं पोर्टल, स्वयंप्रभा टीवी चैनल (एक कक्षा एक चैनल) के बारे में बताया, जो डिजिटल संसाधनों से वंचित छात्रों के लिए है. उन्होंने कहा, 'भारत वसुधैव कुटुम्बकम् (विश्व एक परिवार है) में विश्वास करता है और यदि आवश्यक हो, तो अफ्रीका में, कैरिबियन में, एशिया में, हमारे भाइयों और बहनों के साथ भारतीय स्कूलों की ही तरह उच्च मानकों पर स्कूल पाठ्यक्रम निर्धारित करने में सहायता करने के लिए तैयार है. जैसा कि आप जानते हैं कि भारतीय स्कूल शिक्षा प्रणाली गणित, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और मानविकी में बहुत अच्छी है.'

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कठिन समय में सामूहिक प्रयास
डॉ. निशंक ने सभी को हर प्रकार की सहायता का आश्वासन देते हुए कहा, 'विश्व ने अनेक स्तरों पर इस महामारी का डटकर सामना किया है. गंभीर कठिनाइयों के बावजूद, वैश्विक समुदायों ने यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया है कि इस चुनौती का सामना करते हुए जनता का मनोबल ऊंचा बना रहे. आज हम गर्व से एक-दूसरे की सहायता करते हुए और एक-दूसरे के संघर्षो से सीखते हुए आगे बढ़ सकते हैं. इस कठिन समय में हमारे सामूहिक प्रयास ही हमें मजबूत बनाएंगे.'