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मुसीबत में हैं और चाहिए मदद तो करें यह इशारा, याद रखें Help Me का यह संकेत

एक सांकेतिक शब्द Help Me के लिए भी है. इसका प्रयोग कोई भी व्यक्ति संकट के समय कर मदद मांग सकता है.

Updated on: 18 Mar 2021, 08:59 AM

highlights

  • कहीम मुसीबत में फंस जाएं तो इस तरह Help Me कह मांगे मदद
  • SOS का इस्तेमाल भी किसी आपात स्थिति में किया जा सकता है
  • ये संकेत भाषा के बंधन से परे हैं और कहीं भी प्रयोग में ला सकते हैं

नई दिल्ली:

सांकेतिक भाषा (Sign Language) लिपि-वर्ण से कहीं परे होती है. सबसे बड़ी बात अगर आप इन संकेतों को समझ लें तो कहीं भी किसी भी परिस्थिति में किसी से भी मदद मांग सकते हैं या किसी की भी मदद कर सकते हैं. आमतौर पर SOS एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय कूट संदेश है, जिसे देख सामने वाला तुरंत समझ जाता है कि संबंधित शख्स को मदद की जरूरत है और उसकी जान अधर में है. माना जाता है कि SOS का सबसे पहले प्रयोग मोर्स कोड बतौर आपात स्थिति में बीच गहरे समुद्र में फंसे पानी के जहाज की ओर से किया गया. बाद में इसका इस्तेमाल संकट में फंसे किसी भी शख्स की ओर से किया जाने लगा. ऐसा ही एक सांकेतिक शब्द Help Me के लिए भी है. इसका प्रयोग कोई भी व्यक्ति संकट के समय कर मदद मांग सकता है. 

Help Me के लिए ऐसे बनाएं मुद्रा
सांकेतिक रूप से मदद मांगने के लिए यानी Help Me कहना बेहद आसान है. आपको बस अपने सीधे हाथ की हथेली को पहले पहल बाय-बाय कहने के अंदाज में फैलाना है. फिर अंगूठे को हथेली की दिशा में मोड़ बाकी चार अंगुलियों को हथेली की ओर ही बंद करना होता है. इसे सांकेतिक भाषा में Help Me कहा जाता है. मान लें कि कोई आपके घर में जबरन घुस आया और उसने आपको बंधक बना रखा है. अचानक कोई डिलीवरी ब्वॉय सामान लेकर आता है और आप इस संकेत को देते हैं, तो वह समझ जाएगा कि आपको मदद की जरूरत है. इसी तरह किसी भी आपात स्थिति में आप इस संकेत के जरिये मदद मांग सकते हैं. 

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SOS का अर्थ और इतिहास
SOS का पूरा अर्थ होता है सेव आर सोल या सेव ऑर शिप. SOS की उत्पत्ति जर्मन सरकार के समुद्री रेडियो नियमों में हुई जो 1 अप्रैल 1905 से प्रभावी हुई थी. जब इसे 3 नवंबर 1906 को हस्ताक्षरित पहले अंतर्राष्ट्रीय रेडियो-टेलीग्राफ समझौते के सेवा नियमों में शामिल किया गया, तब यह एक विश्वव्यापी मानक बन गया,जो 1 जुलाई 1908 को प्रभावी हुआ. एक शुरुआत के संदेश के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो सहायता का अनुरोध करता है जब जान-माल का नुकसान होता है या किसी संपत्ति पर भयावह नुकसान होता है. दूसरे क्षेत्रों में इसका उपयोग मैकेनिकल ब्रेकडाउन, चिकित्सा सहायता के लिए अनुरोध और मूल रूप से किसी अन्य स्टेशन द्वारा भेजे गए एक संकट संकेत के लिए किया जाता है. SOS को अभी भी एक मानक संकट संकेत के रूप में मान्यता प्राप्त है जिसे किसी भी सिग्नलिंग पद्धति के साथ उपयोग किया जा सकता है. कुछ मामलों में सहायता के लिए इसके अलग-अलग अक्षरों S O S को समुद्र तटों, रेगिस्तान, खाली भूमि या ऐसे ही समतल स्थानों पर लिख दिया जाता है. इसका कारण यह है कि SOS को राइट साइड अप के साथ-साथ उल्टा भी पढ़ा जा सकता है जो कि दृश्यात्मक पहचान के लिए फायदेमंद है.