गूगल ने डूडल बनाकर किया भारत के 'सैटेलाइट मैन' को सम्मानित
आज प्रोफ़ेसर राव का 89वां जन्मदिन है. भारत के सैटेलाइट प्रोग्राम को नई दिशा देने के कारण डॉक्टर यूआर राव को 'सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया' (Satellite Man) के नाम से भी जाना जाता है.
highlights
- डॉक्टर यूआर राव को 'सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया' के नाम से भी जाना जाता है
- डॉ राव ने भारत के पहले उपग्रह 'आर्यभट्ट' के 1975 के प्रक्षेपण का पर्यवेक्षण किया
- 1976 में पद्म भूषण और 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गए
नई दिल्ली:
अगर आप भारत (India) में रहते हैं और अभी गूगल (Google) पर कुछ सर्च करने की कोशिश कर रहे हैं, तो आपको एक प्यारा सा गूगल-डूडल नज़र आ रहा होगा. यह डूडल भारतीय वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर उडुपी रामचंद्र राव (Udupi Ramachandra Rao) को समर्पित है. आज प्रोफ़ेसर राव का 89वां जन्मदिन है. भारत के सैटेलाइट प्रोग्राम को नई दिशा देने के कारण डॉक्टर यूआर राव को 'सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया' (Satellite Man) के नाम से भी जाना जाता है. भारत ने उनके नेतृत्व में ही साल 1975 में अपने पहले उपग्रह 'आर्यभट्ट' का अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण किया था. अंतरिक्ष विज्ञान के अलावा सूचना प्रोद्योगिक के क्षेत्र में भी प्रोफ़ेसर राव ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है. एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले उडुपी रामचंद्र राव अपनी प्रतिभा और लगन के दम पर सर्वश्रेष्ठ भारतीय वैज्ञानिकों की कतार में सबसे आगे तक पहुंचे.
कर्नाटक में हुआ था जन्म
इन्हीं उपलब्धियों को ध्यान में रखकर गूगल ने बुधवार को भारत के 'सैटेलाइट मैन' और प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्वर्गीय उडुपी रामचंद्र राव पर डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया है. गूगल डूडल पर पृथ्वी और चमकदार तारों के बैकग्राउंड के साथ प्रोफेसर राव का एक स्केच है. गूगल ने अपने डिस्क्रिप्शन में लिखा है, 'आपके तारकीय तकनीकी प्रगति को गैलेक्सी के पार महसूस किया जाना जारी है.' भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में राव ने भारत के पहले उपग्रह 'आर्यभट्ट' के 1975 के प्रक्षेपण का पर्यवेक्षण किया. 10 मार्च 1932 को कर्नाटक में जन्मे राव का 2017 में निधन हो गया था. उन्हें 1976 में पद्म भूषण और 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
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कॉस्मिक रे साइंटिस्ट बतौर शुरू किया कैरियर
उडुपी रामचंद्र राव ने अपने करियर की शुरूआत कॉस्मिक रे साइंटिस्ट (ब्रह्मांडीय किरण वैज्ञानिक) के रूप में की और अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के अधीन काम किया. नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी ग्रुप के सहयोग से सौर हवा की निरंतर प्रकृति और मैरिनर-2 अवलोकनों का उपयोग करके भू-चुंबकत्व पर इसके प्रभाव को स्थापित करने वाले वह पहले साइंटिस्ट थे. वह मेक्सिको के ग्वाडलाजारा में प्रतिष्ठित 'आईएएफ हॉल ऑफ फेम' में शामिल होने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक बन गए.
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सैटेलाइट हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पहले भारतीय
कई 'पॉयनियर' और 'एक्सप्लोरर' अंतरिक्ष यान पर राव के प्रयोगों से सौर ब्रह्मांडीय-किरण घटनाओं और अंतर-ग्रहों के अंतरिक्ष के विद्युत चुम्बकीय स्थिति की पूरी समझ पैदा हुई. वह अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के गवनिर्ंग काउंसिल के अध्यक्ष और बेंगलुरु में नेहरू तारामंडल और तिरुवनंतपुरम में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) के चांसलर भी रहे. सोसाइटी ऑफ सैटेलाइट प्रोफेशनल्स इंटरनेशनल द्वारा एक समारोह में राव को 2013 में वाशिंगटन के सैटेलाइट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था. इसके साथ ही वह उस श्रेणी में शामिल होने वाले पहले भारतीय बन गए.
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