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NEP में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा का प्रावधान

सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही तय करने के लिए स्कूल सुरक्षा पर दिशा-निर्देश भी तैयार किए हैं.

Updated on: 02 Dec 2021, 08:43 AM

highlights

  • स्कूल सुरक्षा पर दिशा-निर्देश भी तैयार किए
  • उत्पीड़न व धोखाधड़ी से बचाने की व्यवस्था

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में सभी लड़कियों के साथ-साथ ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की बात कही गई है. इसके लिए एक लिंग समावेशन कोष (जीआईएफ) स्थापित करने का प्रावधान है. यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी. लड़कियों और ट्रांसजेंडर बच्चों की समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को समग्र शिक्षा 2.0 के तहत विशिष्ट प्रावधानों के माध्यम से पूरा किया जा रहा है. समग्र शिक्षा 2.0 के तहत आवंटित ऐसे प्रावधानों और संसाधनों का विवरण अनुबंध में है.

वहीं शिक्षा मंत्रालय ने सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही तय करने के लिए स्कूल सुरक्षा पर दिशा-निर्देश भी तैयार किए हैं. इन दिशा-निर्देशों में स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न हितधारकों और विभिन्न विभागों की जवाबदेही का विवरण दिया गया है. दिशा-निर्देश स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए जवाबदेही ढांचे और कानूनी प्रावधानों, संपूर्ण स्कूल सुरक्षा दृष्टिकोण और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के त्रि-आयामी दृष्टिकोण पर आधारित हैं.

डिजिटल बुनियादी ढांचे की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए डिजिटल शिक्षा पर दिशा-निर्देश भी सभी राज्य सरकारों के साथ-साथ सीधे केंद्र सरकार के तहत स्कूलों को भी सलाह के रूप में जारी किए गए हैं. स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के लिए प्रगयता दिशा-निर्देश साइबर सुरक्षा और गोपनीयता उपायों को सुनिश्चित करते हुए डिजिटल शिक्षा को लागू करने का वर्णन करते हैं. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण कई स्कूल और शिक्षण संस्थान लंबे समय से बंद है. ऐसे में छात्रों के समक्ष पढ़ाई का सबसे बड़ा विकल्प, ऑनलाइन शिक्षा ही है इसलिए छात्र पहले के मुकाबले अब कई गुना अधिक समय ऑनलाइन रहकर बिताते हैं.

स्कूल कॉलेजों में दाखिले से लेकर असाइनमेंट, ऑनलाइन टेस्ट आदि के लिए छात्रों को नेट एवं ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में छात्रों को ऑनलाइन उत्पीड़न व धोखाधड़ी से बचाने के लिए यह व्यवस्था की गई है. इस व्यवस्था के अंतर्गत जहां छात्रों को ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाव के तरीके बताए गए हैं, वहीं अभिभावकों एवं शिक्षकों के लिए भी आवश्यक दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए गए हैं. दिशा-निर्देश ऑनलाइन मोड सहित डिजिटल शिक्षा के विभिन्न तरीकों पर हैं, जो इंटरनेट की उपलब्धता पर अधिक निर्भर करते हैं. आंशिक रूप से ऑनलाइन मोड जो डिजिटल प्रौद्योगिकी और अन्य ऑफलाइन गतिविधियों के मिश्रित दृष्टिकोण का उपयोग करता है और ऑफलाइन मोड जो टेलीविजन और रेडियो को शिक्षा के एक प्रमुख माध्यम के रूप में पढ़ाई के लिए उपयोग करता है.