कोरोना-प्रदूषण ने बंद कराए स्कूलों के गेट, बढ़ रहा है छात्रों का ड्रॉप आउट रेट
कई छात्र, अभिभावक एवं अभिभावक संगठन चाहते हैं कि अब ऐसे में सभी के लिए स्कूल खोले जाएं.
highlights
- 30 प्रतिशत छात्र 'स्कूल ड्राप आउट' हो चुके हैं
- 2030 तक 100 फीसदी नामांकन का लक्ष्य
नई दिल्ली:
दिल्ली समेत कई राज्यों में स्कूल बंद होने के कारण लाखों छात्र स्कूली शिक्षा के तंत्र से बाहर होते जा रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक देशभर में जहां करीब दो करोड़ छात्र स्कूल ड्रॉपआउट की श्रेणी में आ चुके हैं. अकेले दिल्ली में ही 20 लाख से अधिक छात्र स्कूल ड्रॉपआउट हुए हैं. ऐसी स्थिति में अब शिक्षाविद् किसी भी कीमत पर स्कूलों को खोलने की मांग कर रहे हैं. ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल के मुताबिक ऐसी गंभीर स्थिति में प्रदूषण को आधार बनाकर स्कूलों को बंद किया जाना बेहद गैर जरूरी है. अशोक अग्रवाल ने बताया कि उनके आकलन के मुताबिक दिल्ली में स्कूल बंद होने से के कारण 20 लाख से अधिक छात्र ड्रॉपआउट हुए हैं. इनमें एक लाख से अधिक विकलांग छात्र भी शामिल हैं. देशभर में स्कूल ड्रॉपआउट का कुल आंकड़ा 2 करोड़ से अधिक है.
दिल्ली और देश में कोरोना की दूसरी लहर अब कमजोर पड़ने लगी है. विशेषज्ञ तीसरी लहर की भविष्यवाणी कर रहे हैं. हालांकि इस बीच कई छात्र, अभिभावक एवं अभिभावक संगठन चाहते हैं कि अब ऐसे में सभी के लिए स्कूल खोले जाएं. प्रसिद्ध शिक्षाविद सीएस कांडपाल के मुताबिक लगातार लंबे समय तक स्कूल, शिक्षकों, सहपाठियों व नियमित कक्षाओं के संपर्क में न रहने से ड्रॉपआउट की समस्या उत्पन्न हुई है. यह समस्या खासतौर पर उस वर्ग में अधिक है जहां ऑनलाइन क्लास की सुविधा एवं संसाधन पूरी तरह उपलब्ध नहीं है.
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने कहा, एक अनुमान के मुताबिक सरकारी स्कूलों के लगभग 30 प्रतिशत छात्र 'स्कूल ड्राप आउट' हो चुके हैं. हमें इस बात को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि बच्चों के लिए सबसे अच्छी और सुरक्षित जगह स्कूल है. लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने से बाल श्रम, यौन उत्पीड़न, बीमारी आदि जैसी बुराइयों को जन्म मिल रहा है. कोरोना अनलॉक में जब अन्य सभी गतिविधियां शुरू हैं तो स्कूल शुरू क्यों नहीं हो सकते.
छात्रों के ड्रॉपआउट की समस्या से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय भी अवगत है. शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि स्कूल ड्रॉपआउट दर कम करने के लिए देश के सभी राज्यों के साथ मिलकर इस योजना पर काम किया जा रहा है. मंत्रालय ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य स्कूल से बाहर हुए बच्चों को मुख्यधारा में वापस लाना है. इस कार्य की प्रगति की निगरानी के लिए, प्रत्येक राज्य द्वारा ऐसे बच्चों के बच्चों के आंकड़ों को संकलित किया जाएगा. इसके लिए मंत्रालय ने 'प्रबंध' नामक एक पोर्टल व ऑनलाइन मॉड्यूल विकसित किया है.
दिल्ली में जहां स्कूलों को बंद रखने का फैसला लिया गया है. वहीं दिल्ली के कुछ पडोसी शहर भी प्रदूषण के मद्देनजर स्कूलों को बंद करने का निर्णय ले चुके हैं. इस बीच दिल्ली सरकार का भी मानना है कि महामारी की शुरूआत के साथ, विद्यार्थियों की पढ़ाई का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. इस वर्ष न केवल बच्चों के लर्निंग गैप को कम करने की आवश्यकता है, बल्कि उन्हें इमोशनल सपोर्ट देने की जरूरत भी है. साथ ही विद्यार्थियों को टीचिंग लर्निंग प्रोसेस के लिए दोबारा मानसिक रूप से तैयार करने की जरूरत है.
वहीं स्वयं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का कहना है कि देशभर में अगले 9 वर्षों के दौरान शत प्रतिशत बच्चों का स्कूलों में दाखिला सुनिश्चित कराने का लक्ष्य है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत यह लक्ष्य निर्धारित किया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस विषय पर जानकारी देते हुए कहा की वर्ष 2030 तक स्कूलों में 100 फीसदी सकल नामांकन का लक्ष्य है.
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