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चाणक्य नीति: धन लाभ के लिए स्वयं करें ईश्वर की आराधना

बेहतर जीवन की तलाश में हम सभी रुपया-पैसा कमाने की होड़ में लगे हुए हैं. गरीब आदमी अमीर बनना चाहता है तो वहीं दूसरी ओर अमीर आदमी और भी ज्यादा अमीर बनना चाहता है.

Updated on: 27 Feb 2021, 10:05 AM

highlights

  • चाणक्य नीति में जीवन में धन लाभ के लिए बताए गए हैं उपाय
  • बेहतर नतीजों के लिए अपना काम स्वयं करने की कही गई है बात

नई दिल्ली:

धरती पर मौजूद सभी इंसान के जीवन में आचार्य चाणक्य (Chanakya) की नीति (Chanakya Neeti) बड़े और प्रभावशाली बदलाव कर सकती है. चाणक्य नीति में ऐसी कई बातें बताई गई हैं, जिनका पालन करने से आप किसी भी समस्या से बाहर आ सकते हैं. चाणक्य नीति में जीवन को सफल बनाने के लिए कई बातों का जिक्र किया गया है. आचार्य चाणक्य का कहना था कि मनुष्य के जीवन में बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जो उसके पूरे जीवन काल में आखिरी समय तक उसका साथ नहीं छोड़ती हैं. आचार्य चाणक्य के मुताबिक जमीन और पैसा भौतिक वस्तुएं हैं और इंसान यही समझता रहता है कि ये चीजें उसके जीवन में आखिरी समय तक बनी रहेंगी.

बेहतर जीवन की तलाश में हम सभी रुपया-पैसा कमाने की होड़ में लगे हुए हैं. गरीब आदमी अमीर बनना चाहता है तो वहीं दूसरी ओर अमीर आदमी और भी ज्यादा अमीर बनना चाहता है. हालांकि, हमें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता कि ईश्वर हमसे क्या उम्मीदें रखते हैं. इस महत्वपूर्ण बात को ध्यान में रखते हुए आचार्य चाणक्य ने ईश्वर की भक्ति का तरीका भी बताया है.

स्वहस्तग्रथिता माला स्वहस्तघृष्टचन्दनम्। 
स्वहस्तलिखितमं स्तोत्रं शक्रस्यापि श्रियं हरेत्॥

चाणक्य नीति में लिखे गए इस श्लोक का अर्थ है कि यदि मनुष्य अपने हाथों से गुंथी गई माला, अपने ही हाथों से घिसा गया चंदन और अपने ही हाथों से लिखी हुई भगवान की स्तुति करे तो इंद्र के धन को अपने वश में किया जा सकता है. आचार्य चाणक्य ने कहा है कि धनवान व्यक्ति को भगवान की आराधना अपने हाथों से करनी चाहिए. यदि कोई धनवान व्यक्ति दूसरों के माध्यम से ईश्वर की पूजा-पाठ कराता है तो इससे कोई लाभ नहीं मिलता.

आचार्य चाणक्य की मानें तो जिस प्रकार व्यक्ति को अपनी भूख या प्यास मिटाने के लिए खुद ही भोजन करना होता है और पानी पीना होता है. ठीक उसी प्रकार मनुष्य को बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए भी खुद ही भगवान की पूजा करनी चाहिए. चाणक्य नीति में कहा गया है कि इंसान को तभी लाभ मिलेगा जब वह खुद ही अपने काम करे.