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Chanakya Niti: दूसरों के भीतर दोष ढूंढने वालों को होता है बड़ा नुकसान, चाह कर के भी नहीं कर सकता है भरपाई

Chanakya Niti: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आप चाणक्य के विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन उनके द्वारा बताई गई बातें जीवन की सभी कसौटियों पर आपकी मदद करती रहेंगी.

Updated on: 09 Mar 2021, 09:14 AM

highlights

  • दूसरों के भीतर दोष ढूंढने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से स्वयं में सुधार की गुंजाइश खत्म हो जाती है: चाणक्य
  • कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो दूसरों में सिर्फ कमियां निकालते रहते हैं और उन्हें लगता है कि पूरी दुनिया में उनके जैसा परफेक्ट व्यक्ति कोई नहीं है: चाणक्य

नई दिल्ली:

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के विचार और नीतियां आम इंसान को भले ही काफी कठोर प्रतीत हों लेकिन सच्चाई यह है कि यह काफी हद तक आपके जीवन के बेहद करीब हैं. ऐसे में आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आप चाणक्य के विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन उनके द्वारा बताई गई बातें जीवन की सभी कसौटियों पर आपकी मदद करती रहेंगी. आचार्य चाणक्य के द्वारा बताए गए विचारों में से ही आज हम एक और विचार का विश्लेषण करने की कोशिश करेंगे. आज का विचार व्यक्ति में सुधार पर केंद्रित है. आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दूसरों के भीतर दोष ढूंढने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से स्वयं में सुधार की गुंजाइश खत्म हो जाती है. चाणक्य के इस कथन का मतलब है यह है कि कई मनुष्य दूसरों में दोष ढूंढते रहते हैं या फिर कहें कि उन्हें दूसरों में दोष ढूंढने की इच्छा अधिक होती है.

दूसरों में दोष ढूंढने वालों को स्वंय में अगर कोई भी सुधार की गुंजाइश होती है वह पूरी तरह से खत्म हो जाती है
दरअसल, मनुष्य को दूसरों में दोष ढूंढने में संतोष मिलता है जबकि वह मनुष्य इस बात को भूल जाता है कि उसके ऐसा करने से उसमें स्वंय में अगर कोई भी सुधार की गुंजाइश होती है वह पूरी तरह से खत्म हो जाती है. वास्तविक जिंदगी में कई ऐसे व्यक्ति आपको मिल भी जाएंगे. वहीं कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो दूसरों में सिर्फ कमियां निकालते रहते हैं और उन्हें लगता है कि पूरी दुनिया में उनके जैसा परफेक्ट व्यक्ति कोई नहीं है और उन्हें लगता है कि अगर कोई परफेक्ट है तो वो खुद है, जबकि अन्य दूसरे लोगों में ढेरों कमियां है. व्यक्ति अपनी इस कमी को इतना अधिक बढ़ा देते हैं कि उन्हें उसके आगे कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता है. इसी गलतफहमी की वजह से व्यक्ति कुछ ऐसी गलतियां कर जाता है जो कि उसे नहीं करना चाहिए. 

आचार्य चाणक्य का कहना है कि इस तरह के स्वभाव वाले व्यक्ति दूसरों के भीतर कमियां ही निकालते रहते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होतें हैं कि उनके भीतर भले ही लाखों कमियां हों लेकिन वे अपनी कमियों को छिपाकर दूसरों में दोष को ढूंढने में माहिर होते हैं. उनका कहना है कि अगर आपका व्यक्तित्व ऐसा है तो आप इस तरह का बर्ताव नहीं करें. चाणक्य का कहना है कि इस तरह के व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता है.