चाणक्य नीति: कभी भी जरूरत से ज्यादा सीधा न बनें, ऐसे लोगों के साथ ही होता है अत्याचार
समय के साथ-साथ लोग चालाक तो हो ही रहे हैं, इसके साथ ही लोगों में छल-कपट की भावनाएं भी तेजी से विकसित हो रही है. ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान भोले-भाले लोगों को ही होता है.
highlights
- चाणक्य ने सीधा-सादा होने के बताए हैं नुकसान
- सीधे-सादे लोगों को निशाना बनाते हैं कपटी लोग
नई दिल्ली:
आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के सुखमय और सफल जीवन के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय और सुझाव दिए हैं, जिनका पालन करने से जीवन में आने वाली सभी परिस्थितियों का मुकाबला किया जा सकता है. आचार्य चाणक्य द्वारा दिए गए इन्हीं उपायों और सुझावों को चाणक्य नीति कहा गया है. साहित्य में चाणक्य नीति को खास स्थान दिया गया है क्योंकि चाणक्य की नीतियां मनुष्य के जीवन को केवल सुखमय ही नहीं बल्कि सफल बनाने में भी अहम किरदार निभाती है. चाणक्य नीति धरती पर मौजूद मनुष्य को व्यावहारिक और नैतिक शिक्षा देता है. आज हम आपको चाणक्य नीति के उस महत्वपूर्ण अंश के बारे में बताने जा रहे हैं, जो काफी चर्चित है और आज के मौजूदा समय को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण भी है.
समय के साथ-साथ लोग चालाक तो हो ही रहे हैं, इसके साथ ही लोगों में छल-कपट की भावनाएं भी तेजी से विकसित हो रही है. ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान भोले-भाले लोगों को ही होता है. आचार्य चाणक्य ने कहा था, ''अतिहि सरल नहिं होइये, देखहु जा बनमाहिं. तरु सीधे छेदत तिनहिं, बांके तरु रहि जाहि.'' चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ है, ''लोगों को जरूरत से ज्यादा सीधा-सादा नहीं होना चाहिए, जंगल में भी केवल सीधे पेड़ ही काटे जाते हैं.''
आचार्य चाणक्य इस श्लोक के जरिए मनुष्यों को समझा रहे हैं कि इंसान को कभी भी जरूरत से ज्यादा सीधा नहीं होना चाहिए. ऐसे लोगों को अपने जीवन में कई तरह के कष्ट उठाने पड़ते हैं. आचार्य ने सीधे लोगों की तुलना जंगल में मौजूद सीधे पेड़ों से की है. उन्होंने बताया कि जंगल में सिर्फ उन्ही पेड़ों को काटा जाता है, जो सीधे होते हैं. जबकि टेढ़े पेड़ों को कोई नहीं काटता.
चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों का स्वभाव और व्यवहार ज्यादा सीधा और सरल होता है, ऐसे लोगों के साथ तरह-तरह के अत्याचार किए जाते हैं. चालाक और कपटी लोग सीधे-सादे लोगों को ही अपना निशाना बनाते हैं और उन्हें कई तरह की यातनाएं देते हैं. इतना ही नहीं, ऐसे लोगों को मूर्ख भी माना जाता है. इसलिए, इंसान को जरूरत के हिसाब से चालाक भी होना चाहिए.
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