एनसी क्लासिक का उद्देश्य डायमंड लीग जैसे टूर्नामेंट को भारत में कराना है : नीरज चोपड़ा
'सरजमीन' का ट्रेलर रिलीज, फर्ज और रिश्तों के बीच उलझे काजोल, पृथ्वीराज और इब्राहिम
बर्मिंघम टेस्ट : शुरुआती झटकों के बाद जेमी स्मिथ और हैरी ब्रूक ने इंग्लैंड को संभाला
गड्ढे में गिरा हाथी का बच्चा, वन विभाग ने बचाई जान, वायरल हुआ भावुक कर देने वाला वीडियो
सारा अली खान ने आदित्य रॉय कपूर संग शेयर की तस्वीरें, दोनों के बीच दिखी खास बॉन्डिंग
लहसुन छीलने में होती है परेशान, तो आज ही इन टिप्स को करें फॉलो
विदेश मंत्री एस जयशंकर 13 जुलाई से चीन दौरे पर, एससीओ बैठक में लेंगे भाग
'प्रशांत किशोर को मिलेगा धोखा', बोले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी
एक विवाह ऐसा भी: यहां 11 लड़कियों से शादी के लिए दूल्हों ने दिया इंटरव्यू, 1900 की संख्या में पहुंचे युवक

इस राज्य है में चलता है 'महिलाओं का राज' कर सकती हैं कई पुरुषों से शादी

यहां की महिलाएं कई पुरुषों से विवाह कर सकती हैं, जबकि पुरुषों को अपने ससुराल में रहना पड़ता है. यह प्रथा न केवल महिलाओं को स्वतंत्रता देती है, बल्कि उनके लिए सम्मान और सुरक्षा का माहौल भी बनाती है.

यहां की महिलाएं कई पुरुषों से विवाह कर सकती हैं, जबकि पुरुषों को अपने ससुराल में रहना पड़ता है. यह प्रथा न केवल महिलाओं को स्वतंत्रता देती है, बल्कि उनके लिए सम्मान और सुरक्षा का माहौल भी बनाती है.

author-image
Priya Gupta
New Update
women rule

भारत के मेघालय में स्थित खासी जनजाति अपने अनोखे सामाजिक ढांचे के लिए जानी जाती है. यह जनजाति महिला प्रधान है, यानी यहां की सभी संपत्ति मां के नाम पर होती है और फिर यह बेटी को ट्रांसफर कर दी जाती है. इस प्रकार, महिलाएं न केवल घर की प्रमुख होती हैं, बल्कि समाज में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. खासी समुदाय में महिलाओं का वर्चस्व देखने को मिलता है. यहां की महिलाएं कई पुरुषों से विवाह कर सकती हैं, जबकि पुरुषों को अपने ससुराल में रहना पड़ता है. यह प्रथा न केवल महिलाओं को स्वतंत्रता देती है, बल्कि उनके लिए सम्मान और सुरक्षा का माहौल भी बनाती है.

Advertisment

जन्मोत्सव का अलग अंदाज

हालांकि, हाल के वर्षों में कुछ पुरुषों ने इस प्रथा में बदलाव की मांग की है. उनका कहना है कि वे महिलाओं को नीचा नहीं दिखाना चाहते, बल्कि समानता का अधिकार चाहते हैं.बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, खासी जनजाति में बेटी के जन्म का जश्न धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि बेटे के जन्म पर उतनी खुशी नहीं होती. यह समाज इस बात पर जोर देता है कि महिलाएं परिवार और समाज के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं. यहां के बाजारों और दुकानों में भी महिलाओं की बहुलता है, जो यह दर्शाता है कि वे आर्थिक गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
 विरासत की अनोखी व्यवस्था

 बच्चों के नाम और सरनेम भी मां के नाम पर होते हैं, जो मातृ सत्ता की इस संस्कृति को और मजबूत करता है.खासी समुदाय में सबसे छोटी बेटी को विरासत का सबसे बड़ा हिस्सा मिलता है, जिसे "खातडुह" कहा जाता है. यह छोटी बेटी न केवल संपत्ति की देखभाल करती है, बल्कि माता-पिता और अविवाहित भाई-बहनों की जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखती है. इसके अलावा, उसका घर हर रिश्तेदार के लिए खुला रहता है, जो इस समुदाय में सहयोग और सामंजस्य को बढ़ावा देता है.

खेल और शिल्प

यहां की लड़कियां बचपन में जानवरों के अंगों से खेलती हैं और इन्हें आभूषण के रूप में भी उपयोग करती हैं. यह दिखाता है कि कैसे वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को छोटे-छोटे पहलुओं में भी शामिल करती हैं. इस प्रकार, खासी जनजाति का समाज न केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि उन्हें मजबूत और आत्मनिर्भर भी बनाता है.

Meghalaya
      
Advertisment