मध्यप्रदेश में डॉक्टर्स सरकारी नौकरी करने के लिए तैयार नहीं हैं. राज्य सरकार ने पीएससी से चयनित 495 डाक्टर्स की प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों एवं प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर पदस्थापना की थी. इन डॉक्टर्स में से केवल 173 डॉक्टर्स ने ही ड्यूटी ज्वाइन की है. 322 डॉक्टर्स पोस्टिंग के बाद ज्वाइन करने ही नहीं आए हैं. ऐसे में सरकार की डॉक्टर्स की भर्ती की उम्मीद पर एक बार फिर पानी फिरता नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के अलावा इन दिनों डेंगू और अन्य बीमारियों का भी प्रकोप चल रहा है. इन डॉक्टर्स की पोस्टिंग करने के बाद स्वास्थ्य विभाग काफी उत्साहित था कि नए डॉक्टर मिल जाएंगे, लेकिन करीब दो तिहाई डाक्टर ज्वाइन करने ही नहीं आए.
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जानें प्रदेश में डॉक्टरों की क्या है स्थिति
- विशेषज्ञ के 3618 पद प्रदेश में स्वीकृत हैं, जिन पर केवल 666 लोग ही कार्यरत हैं एवं 2952 पद रिक्त हैं.
- चिकित्सा अधिकारी के 5099 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 3531 भरे हैं एवं 1568 रिक्त हैं.
- चिकित्सा शिक्षा विभाग में करीब 1000 डॉक्टर्स के पद खाली हैं.
- दंत चिकित्सक के 187 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 119 भरे हैं एवं 68 रिक्त हैं.
- पोस्टिंग के बाद 495 में से 322 डॉक्टर्स ने नहीं ज्वाइन किया.
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश मालवीय ने कहा कि इन चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर एफिडडेफिट भी दिया था कि 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के आधार पर ही नियुक्ति करने दी जाए. इसके बाद इन डाक्टर्स की नियुक्ति की गई थी.
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स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि हमने ट्राइबल और ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टर्स की सुविधाएं बढ़ाई हैं. आने वाले समय में स्थितियां और बेहतर होंगी. प्रदेश में लगातार सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके बावजूद डॉक्टर्स की कमी लगातार बनी हुई है. चिकित्सा अधिकारियों के पदों पर उन डॉक्टर्स ने तो ज्वाइन कर लिया जिनकी पोस्टिंग बड़े स्थानों पर हुई है, लेकिन छोटे स्थानों पर डॉक्टर्स नहीं जाना चाहते. ऐसे में वे सरकारी नौकरी करने तैयार नहीं हैं.
Source : Nitendra Sharma