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जानें गृह मंत्रालय कैसे करता है काम, गृहमंत्री अमित शाह के सामने क्या होंगी चुनौतियां

गृह मंत्रालय भारत सरकार का सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय है, जो राज्य विभाग के रूप में कार्य करता है. एक आंतरिक मंत्रालय , जो मुख्य रूप से आंतरिक सुरक्षा और घरेलू नीति के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है.

Updated on: 02 Jun 2019, 02:37 PM

नई दिल्ली:

गृह मंत्रालय भारत सरकार का सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय है, जो राज्य विभाग के रूप में कार्य करता है. एक आंतरिक मंत्रालय , जो मुख्य रूप से आंतरिक सुरक्षा और घरेलू नीति के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है. गृह मंत्रालय, राज्यों के संवैधानिक अधिकारों में दखल दिए बिना सुरक्षा, शांति एंव सौहार्द बनाए रखने के लिए राज्य सरकारों को जन शक्ति एवं वित्तीय सहायता, मार्गदर्शन एंव विशेषज्ञता प्रदान करता है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नई सरकार में शुक्रवार को महत्वपूर्ण गृह मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है.

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गृह मंत्रालय के मुख्य उद्देश्य

- आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरों तथा उग्रवाद, विद्रोह एवं आतंकवाद को समाप्त करना.

- सामाजिक सौहार्द्र को बनाए रखना, उसकी रक्षा करना तथा उसे बढ़ावा देना.

- कानून का शासन लागू करना तथा समय पर न्याय प्रदान करना.

- समाज को अपराध मुक्त वातावरण प्रदान करना.

- मानवाधिकारों के सिद्घांतों को कायम रखना.

- प्राकृतिक एवं मानव-जनित आपदाओं से होने वाली क्षति को कम करना.

भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम, 1961 के अंतर्गत गृह मंत्रालय के संघटक विभाग निम्नलिखित हैं-

1. सीमा प्रबंधन विभाग : तटवर्ती सीमाओं सहित सीमा प्रबंधन का कार्य देखता है.

2. आंतरिक सुरक्षा विभाग : पुलिस, कानून और व्यवस्था तथा पुनर्वास संबंधी कार्य देखता है.

3. जम्मू और कश्मीर कार्य विभाग: जम्मू एवं कश्मीर राज्य से संबंधित सभी संवैधानिक उपबंधों तथा राज्य से संबंधित अन्य सभी मामलों को देखता है, सिवाय उन मामलों के जो विदेश मंत्रालय से संबंधित हैं.

4. गृह विभाग: राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति द्वारा कार्यभार ग्रहण करने संबंधी अधिसूचना, प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना आदि का कार्य देखता है.

5. राजभाषा विभाग: राजभाषा से संबंधित संविधान के उपबंधों तथा राजभाषा अधिनियम, 1963 के उपबंधों के कार्यान्वयन का कार्य देखता है.

6. राज्य विभाग: केन्द्र राज्य संबंधों, अंतर्राज्य संबंधों, संघ राज्य क्षेत्रों तथा स्वतंत्रता सेनानी पेंशन संबंधी मामले देखता है.

गृह मंत्रालय के प्रभाग, उनके उत्तरदायित्व के प्रमुख क्षेत्रों को विनिर्दिष्ट करते हुए, निम्नलिखित हैं-

प्रशासन प्रभाग

इस प्रभाग का दायित्व मंत्रालय के सभी प्रशासनिक और सतर्कता मामलों को देखने, मंत्रालय के विभिन्न प्रभागों में कार्य का आवंटन करने और सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत सूचना प्रस्तुति पर निगरानी रखना है और यह अग्रता सारणी, पद्म पुरस्कार, शौर्य पुरस्कार, जीवन रक्षा पदक पुरस्कार, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान, भारत के राष्ट्रीय संप्रतीक और सचिवालय सुरक्षा संगठन संबंधी मामलों को भी देखता है.

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सीमा प्रबंधन प्रभाग

यह प्रभाग अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के प्रबंधन के लिए देश की प्रशासनिक, राजनयिक, सुरक्षा, आसूचना, विधिक, विनियामक और आर्थिक एजेंसियों द्वारा समन्वय और ठोस कार्रवाई किए जाने संबंधी मामलों और सीमाओं पर सड़कों का निर्माण करने / बाड़ लगाने और तेज रोशनी करने जैसी आधारभूत सुविधाओं के सृजन, सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम, बहु-उद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र की पायलट परियोजना तथा तटीय सुरक्षा संबंधी मामलों को देखता है.

केन्द्र-राज्य प्रभाग

यह प्रभाग केन्द्र-राज्य संबंधों के कार्य देखता है, जिनमें इस प्रकार के संबंधों को शासित करने वाले संविधानिक प्रावधानों का कार्यान्वयन, राज्यपालों की नियुक्ति, नए राज्यों का सृजन, राज्य सभा / लोक सभा के लिए नामांकन, अन्तर्राज्य सीमा विवाद, राज्यों में अपराध की स्थिति पर निगरानी रखना, राष्ट्रपति शासन लगाना इत्यादि शामिल हैं.

समन्वय प्रभाग

यह प्रभाग मंत्रालय में समन्वय बनाए रखने, संसदीय मामलों, लोक शिकायतों, मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के प्रकाशन, रिकार्ड प्रतिधारण अनुसूची तैयार करने, मंत्रालय की वार्षिक कार्य योजना तैयार करने, मंत्रालय के वर्गीकृत और अवर्गीकृत रिकार्डों की अभिरक्षा, आंतरिक कार्य अध्ययन, अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों और विकलांग व्यक्तियों से संबंधित विभिन्न रिपोर्टें प्रस्तुत करने का कार्य देखता है.

आपदा प्रबंधन प्रभाग

आपदा प्रबंधन प्रभाग-I का दायित्व प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं (सूखा और महामारी को छोड़कर) से निपटना, राहत प्रदान करना और आवश्यक तैयारी करना है. आपदा प्रबंधन प्रभाग-II का दायित्व विधायन, नीति, क्षमता निर्माण, निवारण, प्रशमन और दीर्र्घकालिक पुनर्वास संबंधी कार्य करना है.

वित्त प्रभाग

इस प्रभाग का दायित्व एकीकृत वित्त योजना के अन्तर्गत मंत्रालय का बजट तैयार करना, उसको संचालित और नियंत्रित करना है.

विदेशी प्रभाग

यह प्रभाग वीज़ा, अप्रवासन, नागरिकता, भारत की विदेशी नागरिकता और विदेशी अभिदाय तथा अतिथि सत्कार स्वीकार करने से संबंधित सभी मामलों को देखता है.

स्वतंत्रता सेनानी और पुनर्वास प्रभाग

यह प्रभाग स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना और भूतपूर्व पश्चिमी पाकिस्तान / पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए योजनाएं बनाता है और उन्हें कार्यान्वित करता है तथा श्रीलंकाई और तिब्बती शरणार्थियों को राहत प्रदान करने की व्यवस्था करता है.

मानवाधिकार प्रभाग

यह प्रभाग मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम और राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव और अयोध्या से संबंधित मामलों को देखता है.

आंतरिक सुरक्षा प्रभाग

यह प्रभाग विभिन्न ग्रुपों / आतंकवादी संगठनों की राष्ट्र विरोधी और विध्वंसात्मक गतिविधियों सहित आंतरिक सुरक्षा और कानून और व्यवस्था, आतंकवाद से संबंधित नीति और परिचालानात्मक मुद्दों, सुरक्षा स्वीकृति, आई एस आई की गतिविधियों के अनुवीक्षण और सामासिक वार्ता प्रक्रिया के एक भाग के रूप में आतंकवाद और नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार के संबंध में पाकिस्तान के साथ सचिव स्तर की वार्ता संबंधी मामलों को देखता है. यह प्रभाग शस्त्र और विस्फोटकों, स्वापक पदार्थों, स्वापक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (एन.सी.बी.), राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम इत्यादि का कार्य भी देखता है.

जम्मू और कश्मीर प्रभाग

यह प्रभाग भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 सहित संविधानिक मामलों तथा जम्मू एवं कश्मीर के संबंध में सामान्य नीति विषयक मामलों और उस राज्य में आतंकवाद / उग्रवाद सें संबंधित मामलों को देखता है. जम्मू और कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री के पैकेज के कार्यान्वयन का दायित्व भी इसी प्रभाग का है.

न्यायिक प्रभाग

यह प्रभाग भारतीय दंड संहिता (आई पी सी), दंड प्रक्रिया संहिता और जांच आयोग अधिनियम के विधायी पहलुओं से संबंधित सभी मामलों को देखता है. यह संविधान के तहत राष्ट्रपति की अपेक्षित सहमति वाले राज्य विधायनों, स्वतंत्रता से पहले के भूत-पूर्व शासकों को राजनीतिक पेंशन देने, संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत दया याचिका के मामलों को भी देखता है.

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नक्सल प्रबंधन प्रभाग

इस प्रभाग का गठन सुरक्षा और विकास दोनों ही दृष्टिकोणों से नक्सली खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए इस मंत्रालय में 19 अक्टूबर 2006 को किया गया है. यह नक्सली स्थिति और प्रभावित राज्यों द्वारा नक्सली समस्या से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों पर नज़र रखेगा जिसका उद्देश्य प्रभावित राज्यों द्वारा तैयार की गई / की जाने वाली स्थान विशिष्ट कार्य योजनाओं के अनुरुप मूलभूत पुलिस व्यवस्था और विकास दायित्वों में सुधार करना है और यह प्रभाग नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक योजनाओं के तहत जारी की गई निधियों का इष्टतम उपयोग और उनका उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित मंत्रालयों / विभागों के साथ समीक्षा करेगा.

पूर्वोत्तर (एन.ई.) प्रभाग

यह प्रभाग पूर्वोत्तर राज्यों में आंतरिक सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को देखता है, जिसमें उस क्षेत्र में विद्रोह से संबंधित मामले और वहां पर सक्रिय विभिन्न अतिवादी ग्रुपों के साथ बातचीत करना भी शामिल है.

पुलिस प्रभाग

यह प्रभाग भारतीय पुलिस सेवा के संबंध में संवर्ग (काडर) नियंत्रक प्राधिकारी का कार्य करता है और केन्द्रीय पुलिस बलों की तैनाती, सराहनीय / विशिष्ट सेवा तथा शौर्य के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक सहित उनसे संबंधित सभी मामलों को भी देखता है.

पुलिस आधुनिकीकरण प्रभाग

यह प्रभाग राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, केन्द्रीय पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, पुलिस सुधार और विशिष्ट व्यक्तियों / महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए विभिन्न मदों की व्यवस्था करने / प्रापण से संबंधित मदों को देखता है.

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नीति नियोजन प्रभाग

यह प्रभाग आन्तरिक सुरक्षा के मुद्दों, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, द्विपक्षीय संधियों के बारे में नीति निर्धारण और इनसे संबंधित मामलों का कार्य देखता है.

संघ शासित क्षेत्र (यू.टी.) प्रभाग

यह प्रभाग राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सहित संघ शासित क्षेत्रों से संबंधित सभी विधायी और संविधानिक मामलों को देखता है. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) / भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस.) के अरुणाचल प्रदेश - गोवा - मिजोरम और संघ शासित क्षेत्रों (ए.जी.एम.यू) के संवर्ग और दिल्ली - अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सिविल सेवा (दानिक्स) / दिल्ली - अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पुलिस सेवा (दानिप्स) के संवर्ग (काडर) नियंत्रक का कार्य भी देखता है. इसके अतिरिक्त, यह संघ शासित क्षेत्रों में अपराध और कानून और व्यवस्था की स्थिति पर निरंतर नज़र रखने के लिए भी उत्तरदायी है.