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आज है मिर्जा गालिब की 221वीं जयंती
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के, या फिर 'दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है'
आज है मिर्जा गालिब की 221वीं जयंती