मिर्जा गालिब की आज 221वीं जयंती पर पढ़ें उनके 10 सबसे मशहूर शेर
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के, या फिर 'दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है'
नई दिल्ली:
शायरों की बात हो और मिर्जा गालिब का जिक्र न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता. इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के, या फिर 'दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है'..जैसी शायरियों से प्रसिद्धी पाने वाले मिर्जा गालिब की आज 221वी जयंती है. आप भी इस खास मौके पर पढ़ें उनकी ये दस बेहद खूबसूरत नज्में, जिन्हें पढ़कर आपको एक बार फिर मिर्ज़ा ग़ालिब से प्यार हो जाएगा.
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