खंडेलवाल ने फिर पांच छात्रों को पहुंचाया टॉप के आईआईटी में
झारखंड के वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर केके खंडेलवाल की नि:शुल्क कक्षा में पढ़ने वाले पांच छात्रों ने एक बार फिर देश के टॉप आईआईटी में दाखिला पाया है.
highlights
- नि:शुल्क पढ़ने वाले पांच छात्रों को फिर टॉप आईआईटी में दाखिला
- अब तक 15 विद्यार्थी उनसे 'गुरुमंत्र' पाकर आईआईटी पहुंच चुके
- 1981 में आईआईटी प्रवेश परीक्षा में उन्हें ऑल इंडिया में 52वीं रैंक
रांची:
झारखंड के वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर केके खंडेलवाल की नि:शुल्क कक्षा में पढ़ने वाले पांच छात्रों ने एक बार फिर देश के टॉप आईआईटी में दाखिला पाया है. सरकारी सेवा की व्यस्तता के बावजूद खंडेलवाल वक्त निकालकर चुनिंदा बच्चों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराते हैं. इस वर्ष उन्होंने सात छात्रों को पढ़ाया था, जिनमें से पांच ने शानदार रैंक हासिल कर देश के शीर्ष आईआईटी में प्रवेश पा लिया है. खंडेलवाल झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी विभाग में अपर मुख्य सचिव के रूप में पदस्थापित हैं और अब तक 15 विद्यार्थी उनसे 'गुरुमंत्र' पाकर आईआईटी पहुंच चुके हैं.
देश के प्रतिष्ठित आईआईटी में छात्रों को मिला दाखिला
इस वर्ष सफल विद्यार्थियों में वैष्णवी को आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन मिला है, जबकि शशांक कुमार को आईआईटी गुवाहाटी में कंप्यूटर साइंस में बीटेक में प्रवेश मिला है. अलीशा नामक छात्रा को आईआईटी मुंबई में इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच मिली है. इसी तरह यशराज और शुभम सोनी को आईआईटी बीएचयू में एडमिशन मिला है. सफल अभ्यर्थियों में वैष्णवी लड़कियों की कैटेगरी में झारखंड स्टेट टॉपर भी रहीं. इसके पहले 2017 में भी उन्होंने छह परीक्षार्थियों को तैयारी करायी थी और सभी ने बेहतरीन रैंक में सफलता हासिल की थी. केके खंडेलवाल गणित और भौतिकी विषय की तैयारी कराते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार सफल हुए बच्चे मार्च 2019 से ही उनकी कक्षा में पढ़ रहे थे. ऑफिस जाने से पहले और ऑफिस से लौटने के बाद जितना समय मिला बच्चों को पढ़ाया. बीच में जब भी समय मिलता रहा, बच्चों को पढ़ाते रहे. लगभग दो साल के दौरान उन्होंने जेईई एडवांस लेवल के 200 टेस्ट पेपर कराए. कोविड लॉकडाउन के दौरान उन्होंने सभी को ऑनलाइन पढ़ाया.
खंडेलवाल का छात्रों ने जताया आभार
खंडेलवाल सर की नि:शुल्क कक्षा में पढ़कर आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लेने वाली वैष्णवी बताती हैं कि सबसे अच्छी बात यह रही कि उन्होंने हर डाउट को गहराई में जाकर क्लीयर कराया. इसी का नतीजा है कि रिजल्ट बेहतर रहा. आईआईटी मुंबई में एडमिशन लेने वाली अलीशा बताती हैं कि एक प्रश्न को तीन-चार तरीके से हल करने का तरीका खंडेलवाल सर ने बताया और जो सबसे शॉर्ट तरीका होता, उसे प्रैक्टिस में लाया. आईआईटी बीएचयू में एडमिशन लेने वाले यशराज बताते हैं सही मार्गदर्शन में गुणवत्ता वाली पढ़ाई ने ही हमें सफलता दिलायी. सफल विद्यार्थियों और अभिभावकों ने बाद केके खंडेलवाल के आवास पर जाकर उनका आभार जताया. खंडेलवाल के दो पुत्रों तथा एक भांजे ने भी पांच साल पहले उनके निर्देशन में पढ़ाई कर आईआईटी में दाखिला पाया था. उनके पुत्र अनुपम खंडेलवाल को ऑल इंडिया में 9वीं रैंक हासिल हुई थी.
1981 में आईआईटी में 52वीं रैंक की थी हासिल
बता दें कि के के खंडेलवाल मूल रूप से झारखंड के गिरिडीह जिले के रहनेवाले हैं. उन्होंने खुद आईआईटी से पढ़ाई की है. 1981 में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में उन्हें ऑल इंडिया में 52वीं रैंक मिली थी, लेकिन लक्ष्य यहीं तक सीमित नहीं रहा. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना देखा. वर्ष 1988 में यूपीएससी में सफल परीक्षार्थियों की सूची में आठवां स्थान हासिल किया. टॉप रैंकिंग के कारण होम कैडर भी मिला. वह झारखंड सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग, उद्योग विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग, भवन निर्माण विभाग, योजना सह वित्त विभाग, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग, परिवहन तथा नागरिक उड्डयन विभाग, वाणिज्य कर विभाग आदि विभागों में सचिव और अन्य उच्च पदों पर रह चुके हैं.
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