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बिहार: शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, 50 के बाद नही पढ़ा सकेंगे शिक्षक

शिक्षा विभाग के फ़ैसले के अनुसार 50 साल से अधिक उम्र वाले शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों और संबंधित जिले के शिक्षा पदाधिकारियों को जबरन रिटायर किया जायेगा।

Updated on: 04 Aug 2017, 09:00 AM

नई दिल्ली:

बिहार में मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा में खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों पर शिक्षा विभाग ने बड़ा फ़ैसला लिया है। शिक्षा विभाग के फ़ैसले के अनुसार 50 साल से अधिक उम्र वाले शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों और संबंधित जिले के शिक्षा पदाधिकारियों को जबरन रिटायर किया जायेगा। इनमें 50 साल से जिनकी उम्र ज्यादा हो चुकी होगी, उन्हें जहां जबरन सेवानिवृत्त कर दिया जायेगा। वहीं 50 साल से कम उम्र वाले शिक्षकों को चेतावनी देकर या फिर वेतन वृद्धि रोक कर छोड़ा जा सकता है।

गुरुवार को शिक्षा विभाग की समीक्षात्मक बैठक में इन पर कार्रवाई करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुहर लगा दी है। समीक्षात्मक बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालयों में अब तक 933 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति कर ली गयी है। साथ ही निर्देश दिया गया है कि बीपीएससी को प्राथमिकता के आधार पर विषयों का इंटरव्यू लेने को कहा जा सकता है।

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नयी नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन हो रहा है। विधानमंडल के मॉनसून सत्र में इसके लिए एक्ट लाया जायेगा। बैठक में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन, सचिव आरएच चोंगथू समेत विभाग के वरीय पदाधिकारी मौजूद थे।

मुख्य सचिव ने बताया कि हाइ व प्लस टू स्कूलों में गणित, विज्ञान और अंगरेजी के शिक्षक नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में इ-लर्निंग के जरिये स्कूलों में पढ़ाई की जायेगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्कूलों में पेन ड्राइव के जरिये गणित के फॉर्मूले, विज्ञान के सिद्धांत और अंगरेजी के बारे में बताया जायेगा। जब तक शिक्षक नहीं मिलते हैं, इसे चलाया जायेगा और भविष्य में और बेहतर किया जायेगा।

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