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General Knowledge: 35 करोड़ साल पुरानी है अरावली की पहाड़ी, जिसपर बना है राष्ट्रपति भवन, पढ़ें फैक्ट

भारत की प्राचीन पर्वतमालाओं में अरावली पर्वत श्रृंखला का नाम आता है. यह पर्वत श्रृंखला 692 किलोमीटर लंबी है और राजस्थान, गुजरात, हरियाणा तथा दिल्ली जैसे चार राज्यों में फैली हुई है.

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Priya Gupta
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General Knowledge Fact About Aravalli Mountain

Photo-Social Media

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About Aravalli Mountain: भारत एक ऐसा देश है जो हर तरह की प्राकृतिक खूबसूरती का धनी है.यहां पहाड़, पठार, से लेकर खूबसूरत वादियों से लेकर समुद्र की खूबसरत लहरे भी देखने को मिलती है.भारत में विंध्य, सतपुड़ा, राजमहल की पहाड़ी, से लेकर वैस्टर्न, इस्टर्न घाट की पहाड़ियां है, लेकिन सबसे पुरानी पहाड़ियों में से एक है अरावली की पहाड़ी, कहा जाता है कि ये 35 करोड़ साल पुराना है. भारत की प्राचीन पर्वतमालाओं में अरावली पर्वत श्रृंखला का नाम आता है. यह पर्वत श्रृंखला 692 किलोमीटर लंबी है और राजस्थान, गुजरात, हरियाणा तथा दिल्ली जैसे चार राज्यों में फैली हुई है. अरावली रेंज गुजरात के खेड़ ब्रह्मा से शुरू होती है और राजस्थान के अजमेर तथा जयपुर होते हुए हरियाणा के दक्षिणी भाग से दिल्ली के दक्षिणी हिस्से तक जाती है. जैसे-जैसे यह दिल्ली की ओर बढ़ती है, इसकी ऊंचाई कम होती जाती है और यह मैदानी इलाकों में बदल जाती है.

अरावली रेंज रूप से तीन भागों में बांटी गई है

  • जरगा रेंज
  • हर्षनाद रेंज
  • दिल्ली रेंज

अरावली के दक्षिणी हिस्से में घने जंगल पाए जाते हैं, जबकि उत्तर में पहाड़ियां पथरीली और सूखी हैं. सिरोही से खेतड़ी तक अरावली लगातार फैली हुई है और दिल्ली तक छोटी-छोटी श्रृंखलाओं के रूप में जारी रहती है. इस पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी गुरुशिखर है, जो सिरोही जिले में स्थित है और 1772 मीटर ऊंची है. अरावली के पश्चिमी क्षेत्र को मारवाड़ और पूर्वी भाग को मेवाड़ के नाम से जाना जाता है. इसके आस-पास भील जनजाति के लोग निवास करते हैं. 

अरावली की विशेषताए 

अरावली पर्वतमाला उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की दिशा में फैली हुई है. दक्षिण-पश्चिम में नुकीले और तेजधार पर्वत शिखर देखने को मिलते हैं. वहीं उत्तर-पश्चिमी भारत में यह श्रंखला बारिश को प्रभावित करती है. दक्षिण-पश्चिम मानसून की दिशा के अनुसार, जलभरी हवाएं इसके समानांतर बहती हैं और हिमालय तक बिना रुके जाती हैं, जिसके कारण राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में बारिश नहीं होती है.

रायसीना पहाड़ी और राष्ट्रपति भवन

दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन रायसीना पहाड़ी पर बना हुआ है, जो अरावली पर्वत श्रृंखला का ही हिस्सा है. इसे अरावली का उत्तरी छोर माना जाता है. दिल्ली में यही एकमात्र जगह है जहां ग्राउंड वाटर रीचार्ज होता है, जिसका मतलब है कि बोरिंग का पानी यहीं से आता है. सीजीडब्ल्यूए की रिपोर्ट के अनुसार, यह क्षेत्र क्रिटिकल ग्राउंड वाटर रीचार्ज जोन है.

रायसीना नाम कैसे पड़ा

रायसीना का नाम रखने के पीछे एक रोचक कहानी है. 1912 में ब्रिटिश सरकार ने रायसीना हिल्स पर 'वॉयसरॉय हाउस' बनाने का फैसला किया गया था. इस जगह पर 300 परिवार रहते थे जिन्हें रायसीना के नाम से जाना जाता था. इन परिवारों की जमीन को सरकार ने अधिग्रहण कर लिया और तब से इस जगह का नाम रायसीना पड़ा. राष्ट्रपति भवन का निर्माण 4000 एकड़ जमीन पर किया गया है.

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