पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जिनकी डिग्रियां गिनते रह जाएंगे, जानिए उनकी उपलब्धियों की कहानी

Ex PM dr Manmohan Singh Education: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में इस देश को बहुत कुछ दिया. उनके योगदान को भूला नहीं जा सकता.

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Priya Gupta
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Manmohan singh Education

Manmohan singh Education Photograph: (Social media)

Dr Manmohan Singh Education: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनकी गिनती देश के सबसे शिक्षित और विद्वान नेताओं में होती है. डॉ. मनमोहन सिंह ने न केवल भारत बल्कि दुनिया के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की. उनके पास कई डिग्रियां थीं, जो उनकी बौद्धिक क्षमता और शिक्षा को बताती है. मनमोहन सिंह का स्वभाव काफी शांत था, जिसकी वजह से उन्हें काफी ट्रोल होना पड़ता था. लेकिन देश में दिए गए उनके योगदान को भूला नहीं जा सकता है.

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मनमोहन सिंह की शिक्षा: प्रारंभ से लेकर उच्च शिखर तक 

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को तत्कालीन पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ. उनकी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब में हुई. 1948 में उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा पास की, और 1950 में इंटरमीडिएट परीक्षा फर्स्ट क्लास से पास  की. उनकी उच्च शिक्षा की शुरुआत पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से हुई, जहां से उन्होंने 1952 में इकोनॉमिक में ग्रेजुएशन की डिग्री ली.

इसके बाद, 1954 में उन्होंने इकोनॉमिक में ही मास्टर्स किया था, लेकिन उनकी शिक्षा का सफर यहीं नहीं रुका. आगे की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड की प्रतिष्ठित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए. कैंब्रिज में उन्होंने अपनी पढ़ाई को नई ऊंचाई दी और फर्स्ट कैटगरी में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नफील्ड कॉलेज से 1962 में डी.फिल (डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की. डॉ. सिंह का शैक्षणिक सफर यह दिखाता है कि वे शिक्षा के प्रति कितने समर्पित थे.  

मनमोहन सिंह का करियर: शिक्षक से प्रधानमंत्री तक का सफर

डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में बतौर लेक्चरर पढ़ाना शुरू किया. इसके बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय में नियुक्त हुए. 1950 के दशक में उनका सरकारी कामकाज से जुड़ाव शुरू हुआ, जब उन्होंने आर्थिक मामलों में शोधकर्ता के रूप में योगदान दिया. 1971 में उन्हें भारत सरकार का आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया. इसके बाद उन्होंने योजना आयोग के उपाध्यक्ष और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर जैसे महत्वपूर्ण पद संभाले.  

आर्थिक सुधारों के शिल्पकार

1991 में, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारत में आर्थिक उदारीकरण की नीतियां लागू कीं, जिसने देश में निवेश के रास्ते खोले और भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी।  

प्रधानमंत्री का कार्यकाल (2004-2014)  

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक दो बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. इस दौरान उन्होंने देश को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उनकी सादगी और विनम्रता उन्हें आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय बनाती थी. डॉ. सिंह न केवल एक कुशल राजनेता थे, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी शिक्षा और कार्यक्षमता से भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई.

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