logo-image

DU के छात्र एंट्रेंस टेस्ट के पक्ष में, शिक्षक आए विरोध में

काउंसिल की बैठक में नौ सदस्य इस नए प्रावधान के विरोध में थे लेकिन बहुमत के आधार पर विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल ने इस प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया है.

Updated on: 25 Mar 2022, 11:23 AM

highlights

  • काउंसिल की बैठक में नौ सदस्य इस नए प्रावधान के विरोध में
  • अभाविप ने प्रवेश परीक्षा के मॉक टेस्ट कराने की रखी मांग

नई दिल्ली:

दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए छात्रों को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पास करना होगा. एक ओर दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का एक बड़ा समूह यूजीसी और विश्वविद्यालय द्वारा लिए गए इस निर्णय के खिलाफ खड़ा है. वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के समूह ने एंट्रेंस टेस्ट को बेस्ट बताया है. दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल ने सीयूसीईटी यानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंटरेंस टेस्ट को मंजूरी दे दी है. इस प्रावधान के अंतर्गत 12वीं कक्षा में अर्जित किए गए अंकों के आधार पर अब कॉलेजों में दाखिला नहीं मिलेगा. कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पास करना होगा.

काउंसिल की बैठक में नौ सदस्य इस नए प्रावधान के विरोध में थे लेकिन बहुमत के आधार पर विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल ने इस प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दिल्ली विश्वविद्यालय में सीयूसीईटी के माध्यम से स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले दिए के निर्णय का स्वागत किया है. अभाविप का मत है कि सीयूसीईटी के लागू होने से दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए सभी राज्यों से आने वाले छात्रों को समान अवसर मिलेगा तथा दाखिला प्रक्रिया भी आसान होगी. छात्र संगठन के मुताबिक अलग-अलग परीक्षा बोर्ड की मूल्यांकन पद्धति में अंतर होने के कारण बोर्ड परीक्षा के प्राप्तांकों से जो भिन्नता उत्पन्न होती थी, वह भी इस एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से दूर होगी.

अभाविप ने यूजीसी से यह भी मांग की है कि एनटीए द्वारा इस प्रवेश परीक्षा के लिए मॉक टेस्ट भी शुरू कराए जाएं, ताकि छात्रों को परीक्षा के स्वरूप को समझने में आसानी हो सके. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के सदस्य प्रोफेसर मिथुराज धूसिया ने बैठक के उपरांत कहा, सीयूईटी के माध्यम से स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना बहुत समस्याग्रस्त है क्योंकि इसमें छात्रों के बारहवीं कक्षा के अंकों को ध्यान में नहीं रखा जाता है. इस प्रकार यह बारहवीं कक्षा के अध्ययन और अंकों का अवमूल्यन है. वहीं अभाविप का मानना है कि इस निर्णय से छात्रों को सहूलियत होगी तथा सभी राज्यों के छात्रों को प्रवेश हेतु समान अवसर मिलेगा एवं इससे दाखिला प्रक्रिया आसान होगी. सिलेबस आदि स्पष्ट हो? जाने पर अभाविप दिल्ली छात्रों के लिए निशुल्क क्रैश कोर्स का आयोजन कराएगी ताकि आर्थिक रूप से कमजोर छात्र प्रवेश परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकें.