अपना बिजनेस शुरू करना तो कई लोगों का सपना होता है, पर उस सपने को सफलतापूर्वक पूरा कर पाना आसान नहीं होता है। अगर आप भी अपना बिजनेस शुरू करना चाहते है और उसकी शुरूआत कैसे करें तो आपकी इसी समस्या को हल करेगी लघु व कुटीर उद्योगों की एक ऐसी पुस्तक, जिसमें ऐसे उद्योगों की जानकारी दी गई है, जिन्हें आप आसानी से और कम कीमत पर शुरू कर सकते हैं।
इस पुस्तक के माध्यम से उद्यमियों को लघु उद्योग शुरू करने संबंधी उपयोगी मार्गदर्शन एवं उन्हें मिलने वाली सरकारी सुविधाओं की जानकारी प्रदान करना है। इस पुस्तक में लघु क्षेत्र में संचालित होने वाले ऐसे प्रमुख उद्योगों के विषय में हर वह जानकारी दी गई है, जिसकी सहायता से कोई भी व्यक्ति सफलता के पथ पर अग्रसर हो सकता है।
स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया योजना का मुख्य उद्देश्य उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है, ताकि देश में रोजगार के अवसर बढ़े। यह एक ऐसी योजना है, जिसके तहत नए छोटे-बड़े उद्योगों को शुरू करने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसमें ऋण सुविधाएं, उचित मार्गदर्शन एवं अनुकूल वातावरण आदि को शामिल किया गया है।
लघु व कुटीर उद्योग (स्माल स्केल इंडस्ट्रीज) चतुर्थ संस्करण पुस्तक में 100 से भी अधिक लाभदायक और सफल व्यवसाय के बारे में जानकारी दी गई है।
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि आपको अपना बिजनेस शुरू कैसे करना है और उसके लिए क्या कच्चा माल लगेगा। इस पुस्तक में लघु (छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयां), सूक्ष्म, एवं मध्यम उद्योगों के विषय में विस्तार से बताया गया है।
पुस्तक में वित्तीय परियोजना का विवरण दिया गया है और इन वित्तीय परियोजना के माध्यम से विभिन्न उद्योगों की उत्पादन क्षमता, भूमि एवं भवन, मशीन एवं उपकरण तथा कुल अनुमानित लागत की जानकारी दी गई है। साथ ही कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं, संयंत्र और मशीनरी के आपूर्तिकर्ताओं के पते तथा मशीनरी के चित्र दिए गए हैं जिससे उद्यमी इन जानकारियों का लाभ उठा सकें।
इस पुस्तक में 100 घरेलू उद्योग, लघु उद्योग, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों की जानकारी है, जो आपको सफल व्यवसायी बना सकती है। इनमें लेखन सामग्री का उत्पादन, आयुर्वेदिक फार्मेसी, सौंदर्य व श्रृंगार प्रसाधन उद्योग, प्रिंटिंग इंक उद्योग, अगरबत्ती उद्योग, आइसक्रीम उद्योग, डेरी उद्योग, कन्फैक्शनरी उद्योग, मोमबत्ती उद्योग, वाशिंग डिटरजेंट पाउडर, पापड़, बड़ियां और चाट मसाला उद्योग, लैटेक्स रबड़ उद्योग, रबड़ की हवाई चप्पल बनाना, प्लास्टिक वस्तुओं का उत्पादन, पॉलीथिन शीट उद्योग, प्लास्टिक की थैलियां, पेपर पिन (आलपिन) तथा जेम-क्लिप बनाना शामिल हैं।
इसी तरह तार से कीलें बनाना, टीन के छोटे डिब्बे-डिब्बियां, कॉर्न फ्लेक्स, फलों व सब्जियों की डिब्बाबंदी एवं संरक्षण, खिलौना और गुड़िया उद्योग, दियासलाई उद्योग, मसाला उद्योग, डबल रोटी उद्योग, इस्तेमाल किए गए इंजन ऑयल का पुनशरेधन, ग्रीस उत्पादन, कटिंग ऑयल, एडहेसिव उत्पादन उद्योग, मच्छर भगाने की क्रीम, सर्जिकल कॉटन, सर्जिकल बैंडेज उद्योग, होजरी उद्योग, रेडीमेड गारमेंट उद्योग, स्विच और प्लग उद्योग, ड्राई सेल बैटरी, बोल्ट एवं नट उद्योग, सोप एंड क्लीनर्स इंडस्ट्री तथा सिल्क स्क्रीन द्वारा कपड़ों पर छपाई शामिल की गई है।
इसके अलावा बिस्कुट उद्योग, चीनी उद्योग (खांडसारी), इलेक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री, टायर र्रिटीडिंग उद्योग, खाद्य रंगों का निर्माण, फलों और फूलों के एसेन्स, मक्खन और मसालों की सुगंधें, चिप्स तथा वेफर्स, नूडल्स एवं सेवइयां, माल्ट फूड तथा माल्ट मिश्रित पेय, मक्का स्टार्च, पान मसाले तथा गुटके, सुगंधित जाफरानी जर्दा, किवाम तथा मसाले, हुक्के के लिए सुगंधित तंबाकू, नसवार पाउडर और पेस्ट, सूखी संरक्षित और डिब्बा बंद सब्जियां, सॉसेज, कैचअप व अचार, दुग्ध पाउडर, घी, पनीर, कत्था निर्माण उद्योग, पेंट निर्माण उद्योग आदि शामिल हैं।
Source : IANS