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इस वित्त वर्ष RBI नहीं देगा मौद्रिक नीति में ढील, महंगाई बढ़ने के आसार

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि संभव है कि इस वित्तीय वर्ष ब्याज दरों में कोई कटौती न की जाए और इसे मौजूदा स्तर पर बरकरार रखा जाए।

Updated on: 09 Oct 2017, 11:16 AM

नई दिल्ली:

रिज़र्व बैंक ने बढ़ती महंगाई और रुपये में दबाव के चलते सतर्क रुख अपनाने की बात कही है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि संभव है कि इस वित्तीय वर्ष ब्याज दरों में कोई कटौती न की जाए और इसे मौजूदा स्तर पर बरकरार रखा जाए। 

रिज़र्व बैंक ने कहा है कि आरबीआई फिलहाल 'वेट एंड सी' की स्थिति में रहेगा। बीएमआई रिसर्च के मुताबिक आने वाले दिनों में उपभोक्ता महंगाई दर बढ़ने के आसार है जिससे खाद्य पदार्थों और हाउसिंग कीमतों में तेज़ी आना संभव है। 

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ग्रुप कंपनी की बीएमआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारतीय रिज़र्व बैंक ने 4 अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में अपने बेंचमार्क रेपो रेट को 6.00 प्रतिशत पर स्थिर रखा है और उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकोषीय खर्च के लिए सरकार की योजना राज्य स्तर पर कृषि ऋण छूट के साथ-साथ आर्थिक विकास का भी समर्थन करती है, जो कि 3.2 खरब रुपये से ऊपर हो सकती है, जो मुद्रास्फीति के खतरे के लिए महत्वपूर्ण बताते हैं, इसके चलते संभव है कि आरबीआई को मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा।

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इसके अलावा, आने वाले महीनों में आरबीआई देश की वास्तविक उपज लाभ को बनाए रखने की कोशिश में कैपिटल आउटफ्लो के चलते करंसी में दबाव को देखते हुए ब्याज दर को यथास्थिति में बरकरार रखेगा।

फिलहाल रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 65 रुपये के करीब है। सर्वे में कहा गया है, 'आर्थिक सर्वेक्षण की उम्मीदों के मुताबिक आरबीआई विकास की दिशा को जारी रखने के लिए, बढ़ती मुद्रास्फीति और कमजोर रुपए के चलते 'वेट एंड सी' की स्थिति में रहेगा और मौद्रिक नीति में ढील नहीं देगा।'

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