कमजोर ग्रोथ रेट के बावजूद बढ़ती महंगाई ने घटाई ब्याज दरों में कटौती की आस
माना जा रहा है अगस्त महीने में महंगाई दर में हुई बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए चार अक्टूबर को होने वाली बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
highlights
- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती नहीं किए जाने की संभावना है
- अगस्त महीने में महंगाई दर में हुई बढ़ोतरी के कारण दरों में कोई बदलाव नहीं किए जाने की संभावना है
- गौरतलब है कि आरबीआई ने पिछली समीक्षा बैठक में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की थी
नई दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती नहीं किए जाने की संभावना है।
माना जा रहा है अगस्त महीने में महंगाई दर में हुई बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए चार अक्टूबर को होने वाली बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
खुदरा महंगाई दर में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो गई है।
गौरतलब है कि अगस्त महीने में खुदरा महंगाई में एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जुलाई के 2.36 फीसदी के मुकाबले अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 3.36 फीसदी हो गई।
जून महीने में महंगाई के न्यूनतम ऐतिहासिक स्तर पर चले जाने के बाद खुदरा महंगाई दर कम होकर 1.54 फीसदी हो गई थी। हालांकि इसके बाद दो महीनों में लगातार इसमें इजाफा ही हुआ है।
ग्रोथ रेट बनाए रखने की चुनौती
हालांकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में आई भारी गिरावट के बाद उद्योग जगत आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहा है।
समीक्षा बैठक से पहले एसोचैम ने भारतीय रिजर्व बैंक एवं मौद्रिक नीति समिति को पत्र लिखकर नीतिगत ब्याज दर में कम से कम 0.25% कटौती करने के लिए कहा है।
संगठन ने सरकार से राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में नरमी दिखाते हुए सार्वजनिक खर्च को बढ़ाने की अपील की है।
अप्रैल-जून तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.7% रह गई है, जिसके बाद से अर्थव्यवस्था की रफ्तार को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं।
एसोचैम ने कहा कि भारतीय कारोबार जगत सरकार के ‘असाधारण’ कदम उठाए जाने का इंतजार रहा है क्योंकि देश की आर्थिक वृद्धि में मंदी को लेकर चिंताजनक स्थिति बनी हुई है और इसका प्रमुख कारण माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू करने एवं नोटबंदी की वजह से आर्थिक गतिविधियों में पैदा हुआ व्यवधान है।
गौरतलब है कि आरबीआई ने पिछली समीक्षा बैठक में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की थी।
आरबीआई के फैसले पर बाजार की नजर
4 अक्टूबर को होने वाली बैठक पर शेयर बाजार की भी नजरें होंगी। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों(एफपीआई) की बिकवाली के दबाव में शेयर बाजार का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा।
कोरियाई प्रायद्वीप में लगातार बढ़ रहे तनाव और रुपये में आई कमजोरी की वजह से वैश्विक कारण भारतीय बाजारों के लिए ठीक नहीं रहे हैं।
वहीं घरेलू कारणों ने भी अभी तक बाजार को निराश किया है। ऐसे में बाजार के लिए आरबीआई की बैठक के नतीजे अहम साबित होंगे।
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