logo-image

वित्त वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 प्रतिशत होगी : सीईए

एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी), भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की जीडीपी दर का 2019-20 के लिए अनुमान 7.3 प्रतिशत पेश किया है.

Updated on: 13 May 2019, 11:42 PM

नई दिल्ली:

भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्त वर्ष में सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी. इस पर बैंकरप्सी कानूनों, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), फर्जी कंपनियों पर कार्रवाई और पिछले पांच सालों में अपनाए गए राजकोषीय विवेक जैसे मजबूत संरचनागत सुधारों का असर होगा. यह बात मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति वी. सुब्रह्मण्यम ने सोमवार को कही.  सुब्रह्मण्यम ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि इन उपायों के असर से मौजूदा आर्थिक सुस्ती का स्थान धीरे-धीरे उच्च निवेश और उपभोग ले लेगा.

और पढ़ें: अमेरिका-चीन व्यापार जंग और लोकसभा चुनाव से शेयर बाजार में अस्थिरता रहने की संभावना

सुब्रह्मण्यम ने कहा, 'हम सात प्रतिशत वृद्धि दर के अपने अनुमान पर कायम हैं. किए गए सुधारों का असर दिखने लगेगा. भारत चीन से आगे निकल कर सबसे तेज वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बनने में सक्षम होगा. किए गए सुधारों के कारण हमारे पास अभी भी तीव्र वृद्धि दर की पर्याप्त संभावना है.'

एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी), भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की जीडीपी दर का 2019-20 के लिए अनुमान 7.3 प्रतिशत पेश किया है.

भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर दिसंबर की तिमाही में 6.6 प्रतिशत थी, जो पांच तिमाहियों में सबसे कम थी. इसके कारण सरकार के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पिछले महीने 2018-19 के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया.

ये भी पढ़ें: Sensex Today: शेयर बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स 372 प्वाइंट लुढ़का, निफ्टी 11,150 के नीचे

सीईए ने कहा कि आर्थिक वृद्धि पर निवेश का काफी असर होगा और चुनावी वर्ष के कारण उद्योग जगत इंतजार करो और देखो की स्थिति में है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के पास विकास करने की क्षमता है और उपभोग 80 प्रतिशत से नीचे चला गया, जिसके कारण निवेश में कमी हुई है. सुब्रह्मण्यम के अनुसार, पिछले पांच सालों में कई संरचनागत सुधार हुए हैं, जिनके परिणाम थोड़े समय बाद दिखने लगेंगे.