विकास की मांग करने वाले को चुकानी होगी जरूरी कीमत: अरुण जेटली
देश की अर्थव्यवस्था के खराब प्रदर्शन के लिए आलोचना झेल रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि जो लोग देश के विकास की मांग कर रहे हैं, उन्हें इसकी कीमत देनी होगी।
highlights
- जेटली ने कहा कि जो लोग देश के विकास की मांग कर रहे हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी
- उन्होंने कहा कि इसके बदले सरकार को मिले पैसे का 'ईमानदारी के साथ खर्च' किया जाना जरूरी है
- वित्त मंत्री ने कहा कि 'रेवेन्यू न्यूट्रल' के स्तर तक पहुंचने के बाद ही व्यापक आर्थिक सुधार हो सकते हैं
नई दिल्ली:
देश की अर्थव्यवस्था के खराब प्रदर्शन के लिए आलोचना झेल रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि जो लोग देश के विकास की मांग कर रहे हैं, उन्हें इसकी कीमत देनी होगी।
जेटली ने कहा, 'जो लोग देश के विकास की मांग कर रहे हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।' उन्होंने कहा कि इसके बदले सरकार को मिले पैसे का 'ईमानदारी के साथ खर्च' किया जाना जरूरी है।
नैशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स एक्साइज एंड नारकोटिक्स (एनएसीआईएन) की स्थापना दिवस पर बोलते हुए जेटली ने कहा, 'रेवेन्यू, गवर्नेंस की जीवनरेखा है' और इसकी मदद से भारत विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था में तब्दील होगा।
जेटली ने कहा, 'ऐसे समाज में जहां पारंपरिक तौर पर टैक्स नहीं देना कोई शिकायत की बात नहीं मानी जाती वहां लोग समय के साथ इसके महत्व को समझ रहे हैं। टैक्स एकीकरण का यही कारण है। एक बार जब बदलाव आ जाएगा तब हमारे पास सुधार की गुंजाइश होगी। और फिर हम रेवेन्यू न्यूट्रल की स्थिति में होंगे, जहां से बेहतर सुधारों के बारे में सोचा जा सकता है।'
और पढ़ें: देश का राजकोषीय घाटा लक्ष्य के 96 फीसदी से अधिक
उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किए जाने के बाद इसके 'रेवेन्यू न्यूट्रल' के स्तर तक पहुंचने के बाद ही व्यापक आर्थिक सुधार हो सकते हैं। रेवेन्यू न्यूट्रल दर जीएसटी की वह दर है, जिसमें कर नियमों में बदलाव के बाद भी कर के रूप में सरकार को समान राशि मिले।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत वैसे समय में अप्रत्यक्ष टैक्सिंग के दौर से गुजर रहा है जब हमारी अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है। डायरेक्ट टैक्स समाज का समृद्ध वर्ग दे रहा है जबकि अप्रत्यक्ष कर का बोझ पूरा समाज उठा रहा है।
उन्होंने कहा, 'इसलिए हमारी राजकोषीय नीति में हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि बुनियादी जरूरतों के सामान पर कम टैक्स लगाया जाए।'
और पढ़ें: कमजोर ग्रोथ के बावजूद RBI से नहीं मिलेगी राहत, नहीं होगी ब्याज दरों में कटौती: रिपोर्ट
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य