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फिच- भारत की 2016-17 जीडीपी दर 7.1% होने का अनुमान, तीसरी तिमाही के सरकारी आंकड़ें 'आश्चर्यजनक'

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने 2017 के भारतीय अर्थव्यवस्था के अपने पूर्वानुमान में बदलाव कर इसे बढ़ा दिया है। फिच के मुताबिक वित्त वर्ष 2017 में भारत की जीडीपी दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

Updated on: 07 Mar 2017, 02:54 PM

नई दिल्ली:

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की अर्थव्यवस्था की अपने पूर्वानुमान में बदलाव कर अब इसे बढ़ा दिया है। फिच के मुताबिक वित्त वर्ष 2017 में भारत की जीडीपी दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पहले फिच ने इस दौरान भारत की जीडीपी का अनुमान 6.9 प्रतिशत ही रखा था।

तीसरी तिमाही के भारतीय अर्थव्यवस्था के आंकड़ों से चकित फिच ने अपने अनुमान में बदलाव किया है। फिच के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017 में भारत की जीडीपी 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके अलावा रेटिंग एजेंसी फिच ने अगले दो वित्तीय वर्षों में भारत की जीडीपी का अनुमान 7.7 प्रतिशत रखा है।

ग़ौरतलब है कि नोटबंदी के चलते फिच ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद आंकड़ों के अनुमान को मात्र 6.9 प्रतिशत रहने का ही अनुमान जताया था। लेकिन दिंसबर तिमाही के नतीजों से चकित हो कर फिच ने अपने अनुमान में इज़ाफा किया है।

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फिच ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यव्स्था 2017 में चीन के जीडीपी अनुमान 6.5 प्रतिशत से कहीं बेहतर होने की उम्मीद है। अमेरिका स्थित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने भारत की जीडीपी दूसरी तिमाही के 7.4% आंकड़ों के मुकाबले तीसरी तिमाही में कम ही रही लेकिन 7.1 प्रतिशत का यह आंकड़ा चौंकाने वाला है।

फिच ने कहा, ‘यह आंकड़ा थोड़ा हैरान करने वाला है क्योंकि वास्तविक गतिविधियों के बारे में नोटबंदी के बाद जो आंकड़े जारी किये थे, वे खपत तथा सेवा गतिविधियों में गिरावट का संकेत देते हैं। इसका कारण इन गतिविधियों का नकदी से जुड़ा होना है। इसके विपरीत आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2016 की चौथी तिमाही में निजी खपत मजबूत थी (हालांकि सेवा उत्पाद वृद्धि उल्लेखनीय रूप से नरम हुई)।’

रेटिंग एजेंसी ने भारत की जीडीपी दर 2016-17 के दौरान 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है जबकि 2017-18 और 2018-19 में इसके 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।

एजेंसी ने कहा कि दिसंबर तिमाही के जीडीपी आकंड़ें बताते है कि सरकार द्वारा नोटबंदी के कारण, जिसके द्वारा रातों-रात सरकार ने 86 प्रतिशत नोटों को बाज़ार से बाहर कर दिया, इसके चलते देश की आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई।

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हालांकि फिच ने कहा कि संभव है कि सरकारी आंकड़ें नोटबंदी से अव्यवहारिक क्षेत्रों पर पड़े नकारात्मक असर को पकड़ पाने में सक्षम नहीं हो पाए हों हालांकि व्यवाहारिक क्षेत्रों में शानदार बढ़त दर्ज की गई जो हैरान करने वाली है।

एजेंसी के मुताबिक, 'इससे यह आशंका बढ़ी है कि वृद्धि के इन आरंभिक अनुमान में नोटबंदी के प्रभाव को कमतर आंका गया हो। ऐसे में आधिकारिक जीडीपी के आंकड़े में बाद में संशोधन की संभावना है।’

फिच ने कहा, ‘संरचनात्मक सुधार के एजेंडे को धीरे-धीरे आगे बढ़ाने, सरकारी कर्मचारियों के वेतन में करीब 24% की वृद्धि के साथ लोगों की खर्च योग्य आय में वृद्धि से विकास दर में बढ़ोतरी की उम्मीद है।’

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जीडीपी दर पर फिच का यह अनुमान सरकारी आंकड़े और अंतर्राष्ट्रीय ग्लोबल थिंक टैंक ओईसीडी के आंकड़ों के बाद आया है। इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने ब्याज दरों के भी मौजूदा स्तर 6.25 प्रतिशत पर ही रहने की उम्मीद जताई है।

क्या है जीडीपी?

जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की मज़बूती या कमज़ोरी दर्शाता है। जीडीपी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन को मापने का एक बुनियादी पैमाना होता है इसके आधार पर ही देश की तरक्की की दिशा तय होती है।

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